Ranchi: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (cm hemant soren) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (pm narendra modi) को पत्र लिखा है। पत्र में मुख्यमंत्री सोरेन ने प्रधानमंत्री से आदिवासियों के सरना धर्म कोड की मांग पर जल्द और साकारात्मक फैसला लेने का आग्रह किया है। यह जानकारी बुधवार को खुद मुख्यमंत्री ने अपने एक्स (ट्विटर) हैंडल पर दी है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पत्र की फोटो भी ट्विटर पर साझा की है। अपने इस ट्वीट पर मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी टैग किया है। उन्होंने प्रधानमंत्री से आग्रह किया देश के करोड़ों आदिवासियों के हित में सरना धर्म कोड की मांग पर जल्दी और पॉजिटिव फैसला लें। इसके साथ ही हेमंत सोरेन ने प्रधानमंत्री पर भरोसा भी जताया है कि वे सरना धर्मकोड का प्रावधान सुनिश्चित करेंगे।
आदिवासियों के पारंपरिक धार्मिक अस्तित्व के रक्षा की चिंता निश्चित तौर पर एक गंभीर सवाल है
पत्र ट्वीट करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन लिखा कि “देश का आदिवासी समुदाय पिछले कई वर्षों से अपने धार्मिक अस्तित्व की रक्षा के लिए जनगणना कोड में प्रकृति पूजक आदिवासी/सरना धर्मावलंबियों को शामिल करने की मांग को लेकर संघर्षरत है। मैंने पत्र लिखकर माननीय प्रधानमंत्री आदरणीय श्री नरेंद्र मोदी जी से देश के करोड़ों आदिवासियों के हित में आदिवासी/सरना धर्म कोड की चिरप्रतीक्षित मांग पर यथाशीघ्र और सकारात्मक निर्णय लेने की कृपा करने का आग्रह किया है।” मुख्यमंत्री ने लिखा, “मुझे आशा ही नहीं अपितु पूर्ण विश्वास है कि जिस प्रकार प्रधानमंत्री जी समाज के वंचित वर्गों के कल्याण के लिए तत्पर रहते हैं, उसी प्रकार इस देश के आदिवासी समुदाय के समेकित विकास के लिए पृथक आदिवासी/सरना धर्मकोड का प्रावधान सुनिश्चित करने की कृपा करेंगे। जोहार!”।
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देश का आदिवासी समुदाय पिछले कई वर्षों से अपने धार्मिक अस्तित्व की रक्षा के लिए जनगणना कोड में प्रकृति पूजक आदिवासी/सरना धर्मावलंबियों को शामिल करने की मांग को लेकर संघर्षरत है।
पूरे विश्व में प्रकृति प्रेम का संदेश फैलेगा
मुख्यमंत्री ने पत्र में लिखा कि आदिवासी समाज के लोग प्राचीन परंपराओं एवं प्रकृति के उपासक हैं और पेड़ों, पहाड़ों की पूजा और जंगलों को संरक्षण देने को ही अपना धर्म मानते हैं। साल 2021 की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार देश में लगभग 12 करोड़ आदिवासी निवास करते हैं।झारखंड प्रदेश जिसका मैं प्रतिनिधित्व करता हूं, एक आदिवासी बहुल राज्य है, जहां इनकी संख्या एक करोड़ से भी अधिक है। झारखंड की एक बड़ी आबादी सरना धर्म को मानने वाली है। इस प्राचीनतम सरना धर्म का जीता-जागता ग्रंथ स्वयं जल, जंगल, जमीन और प्रकृति है। सरना धर्म की संस्कृति, पूजा पद्धिति, आदर्श और मान्यतताएं प्रचलित सभी धर्मों से अलग है। मुख्यमंत्री ने सम्मान के साथ आगे लिखा कि झारखंड ही नहीं बल्कि पूरे देश के आदिवासी समुदाय पिछले कई सालों से सरना धर्म कोड की मांग को लेकर संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने कहा प्रकृति पर आधारित आदिवासियों के पारंपरिक धार्मिक अस्तित्व के रक्षा की चिंता निश्चित तौर पर एक गंभीर सवाल है।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पीएम को बताया कि सरना धर्म कोड की मांग इसलिए उठ रही है ,ताकि प्रकृति का उपासक यह आदिवासी समुदाय अपनी पहचान के प्रति आश्वस्त हो सके। वर्तमान में जब समान नागरिक सहिंता की मांग कतिपय संगठनों द्वारा उठाई जा रही है, तो आदिवासी समुदाय की इस मांग पर सकारात्मत पहल उनके संरक्षण के लिए जरूरी है। मुख्यमंत्री ने पीएम मोदी से कहा कि आप तो जानते ही हैं कि आदिवासी समुदाय में ऐसे कई समूह तो विलुप्त होने के कगार पर हैं और सामाजिक न्याय के सिद्धांत पर इनका संरक्षण नहीं किया गया तो इनकी भाषा, संस्कृति के साथ इनका अस्तित्व भी समाप्त हो जाएगा।