रांची। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन(cm hemant soren) ने आइएएस कैडर रूल- 1954 में केंद्र सरकार के प्रस्तावित संशोधन का विरोध किया है। वर्तमान कैडर रूल में संशोधन कर राज्यों में कार्यरत आइएएस अफसरों को राज्य की सहमति के बिना ही केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर लेने का नियम केंद्र सरकार बना रही है। सीएम हेमंत सोरेन ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (pm modi)को पत्र लिखकर इसपर कड़ा एतराज जताया है।
श्री सोरेन ने प्रस्तावित संशोधन को समाप्त करने की मांग करते हुए कहा कि यह संशोधन कठोर व सहकारी संघवाद की भावना के खिलाफ है। सीएम ने लिखा है कि राज्य सरकार ने 12 जनवरी को इस इस पर अपनी राय दे दी थी। राज्य को इस बीच एक और मसौदा मिला है, जो पहले की तुलना में अधिक कठोर प्रतीत हो रहा है। उन्होंने प्रधानमंत्री से आग्रह किया है कि इस प्रस्ताव को तुरंत खत्म कर देना चाहिए। अपने पत्र में मुख्यमंत्री ने भारत सरकार के मंत्रालयों में अधिकारियों की कमी को पूरा करने का एक विकल्प भी सुझाया।
उन्होंने कहा कि 30 अखिल भारतीय सेवाओं के पूल से अधिकारियों की कमी पूरी की जा सकती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने का विकल्प चुननेवाले अधिकारियों की संख्या में स्पष्ट गिरावट के पीछे के कारणों का आत्मनिरीक्षण करना होगा। उन्होंने कहा कि अधिकारियों के ट्रांसफर से उनके परिवार व बच्चे प्रभावित होते हैं। जिससे उनके काम पर असर पड़ता है। संशोधनों के औचित्य पर सवाल उठाते हुए श्री सोरेन ने कहा कि इसका एकमात्र उद्देश्य राज्यों में सेवारत अखिल भारतीय सेवा के किसी भी अधिकारी को राज्य की सहमति के बिना भारत सरकार में प्रतिनियुक्ति पर आने के लिए विवश करना है। मुख्यमंत्री ने दोहराया कि झारखंड में वर्तमान में 215 स्वीकृत पद के मुकाबले राज्य में केवल 140 आइएएस अधिकारी काम कर रहे हैं, जबकि आइपीएस के स्वीकृत पद 149 की जगह 95 आइपीएस अधिकारी कार्यरत हैं। अपने पत्र में मुख्यमंत्री ने रेखांकित किया कि अधिकारियों की कमी के कारण कुछ अधिकारी एक से अधिक प्रभार में हैं। इसके बावजूद केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से राज्य के काम पर और अधिक दबाव पड़ेगा।
ये है केंद्र का प्रस्ताव
भारत सरकार ने आइएएस कैडर रूल-1954 के नियम छह में संशोधन का प्रस्ताव किया है। प्रस्ताव में कहा गया है कि यदि राज्य सरकार आइएएस या आइपीएस की सेवा केंद्र को भेजने में देर करती है या तय समय के अंदर निर्णय लागू नहीं करती, तो अधिकारी को केंद्र द्वारा निर्धारित तारीख से राज्य कैडर से रिलीव कर दिया जायेगा। प्रस्ताव में केंद्र को राज्यों में नियुक्त किये जाने वाले आइएएस अधिकारियों की वास्तविक संख्या तय करने का अधिकार मिला है। केंद्र और राज्य के बीच असहमति होने पर अंतिम निर्णय केंद्र सरकार का होगा। वर्तमान नियम में राज्य की सहमति के बिना आइएएस अफसरों की केंद्र में प्रतिनियुक्ति नहीं की जा सकती है।