Ranchi| स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग, शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार का प्रमुख कार्यक्रम ‘कला महोत्सव‘ की मंगलवार से राजधानी के रातू स्थित झारखंड शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद में शुरुआत की। माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों की कलात्मक प्रतिभा को प्रोत्साहित करने के लिए दो दिनों तक चलने वाले कला महोत्सव के उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में राज्य शिक्षा परियोजना निदेशक आदित्य रंजन मौजूद रहे। उदघाटन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के अलावा पद्मश्री मधु मंसूरी हंसमुख, राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी धीरसेन सोरेंग, जेसीईआरटी के उपनिदेशक प्रदीप चौबे, एसडीईओ नवीन बारा विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए। उद्घाटन कार्यक्रम की शुरआत गिरिडीह की छात्राओं द्वारा ‘मन की वीणा’ संगीत के साथ की गयी। छात्राओं की ममोहक प्रस्तुति के बाद पद्मश्री मधु मंसूरी ने ‘झारखंड कर कोरा’ गीत प्रस्तुत कर समा बांध दिया।
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उदघाटन समारोह के दौरान राज्य शिक्षा परियोजना निदेशक शशि रंजन ने अपने संबोधन में प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन करते हुए उन्हें अपनी कलात्मक प्रतिभा को प्रोत्साहित कर भविष्य में उसे एक करियर विकल्प के रूप में निखारने की सलाह दी। शशि रंजन ने अपने जीवन का उदहारण देते हुए प्रतिभागियों को देश की सबसे कठिन परीक्षा ‘संघ लोक सेवा आयोग’ में भी कलात्मक प्रतिभाओ के महत्त्व पर प्रकाश डाला। शशि रंजन ने कहा कि नयी शिक्षा नीति 2020 की अवधारणा के अनुरूप कला उत्सव का आयोजन किया जा रहा है। इसका बच्चो में समग्र और व्यापक शिक्षा को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान है।
कला को प्रोत्साहित करने के लिए शिक्षा विभाग प्रतिबद्ध है – माैके पर राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी धीरसेन सोरेंग ने कहा कि राज्य सरकार का शिक्षा विभाग और झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद कला को प्रोत्साहित करने के लिए प्रतिबद्ध है। कला महोत्सव भाषा, संस्कृति और स्थानीय प्रतिभाओ के प्रोत्साहन के लिए एक बेहतरीन मंच है। हमारी कला संस्कृति हमारी धरोहर है, हमारा कर्तव्य है कि हम इसे जीवन पर्यन्त भर कर रखे। उन्होंने कहा कि वर्ष 2023 में राष्ट्रीय कला महोत्सव में झारखंड ने 10 में से तीन पदक अपने नाम किया था। हमारी कोशिश है कि हम इस वर्ष भी राष्ट्रीय कला महोत्सव में अधिक से अधिक पदक झारखण्ड को दिला पाए।
शराब पीकर कला का प्रदर्शन करना भारतीय संस्कृति का अपमान है
उद्घाटन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित मधु मंसूरी ने कहा कि आज कल शराब पीकर कला का प्रदर्शन करना एक फैशन बन गया है। यह ना कवाल कला संस्कृति का बल्कि भारतीय भूमि का भी अपमान है। उन्होंने कहा कि कला के प्रदर्शन और उसे सीखने में व्यस्त रहना हमें स्वस्थ जीवन और सुख देता है। हमें कला संस्कृति को प्रोत्साहित करना चाहिए, ना की कला संस्कृति का नाम लेकर कुरीतियों की संगत में आना चाहिए।