New Delhi: इन दिनों देश में समान नागरिक संहिता पर बहस तेज हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने मंगलवार को भोपाल (Bhopal) में बीजेपी (BJP) के कार्यक्रम में समान नागरिक संहिता की जोरदार वकालत की थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि इस संवेदनशील मुद्दे पर मुसलमानों को भड़काया जा रहा है। उन्होंने दलील दी थी की दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चल पाएगा? एक परिवार में दो कानून नहीं चल सकते।
वहीं, अब कांग्रेस समेत अधिकतर विपक्षी दल कानून लाने के विरोध में बयान दे रहे हैं। वहीं, बीजेपी को ऐसी जगह से समर्थन मिला है जिसकी उम्मीद उसने खुद भी कभी नहीं की होगी।
दिल्ली (Delhi) और पंजाब (Punjab) में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी ने कहा है कि वह सैद्धांतिक तौर पर यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) के समर्थन में है। पार्टी के संगठन महासचिव संदीप पाठक ने एक टीवी न्यूज चैनल से बातचीत में कहा कि संविधान का अनुच्छेद 44 भी कहता है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) होना चाहिए। पाठक ने कहा कि उनकी पार्टी का यह मानना है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड के मसले पर सभी धर्मों और राजनीतिक दलों से बात होनी चाहिए। सबकी सहमति के बाद ही यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू किया जाना चाहिए। वहीं, आप नेता ने यह भी कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड की बात चुनाव करीब देखकर छेड़ी है।
इधर, पूर्व केंद्रीय मंत्री व कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कहा कि समान नागरिक संहिता को लोगों पर थोपा नहीं जा सकता। उन्होंने एक ट्वीट में कहा कि प्रधानमंत्री ऐसा दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि यूसीसी साधारण प्रक्रिया है। उन्हें पिछले विधि आयोग की रिपोर्ट पढ़नी चाहिए जिसमें कहा गया है कि यह इस वक्त सुसंगत नहीं है। भाजपा की कथनी और करनी के कारण देश आज बंटा हुआ है। ऐसे में लोगों पर थोपा गया यूसीसी विभाजन को और बढ़ाएगा। एजेंडा आधारित बहुसंख्यक सरकार इसे लोगों पर थोप नहीं सकती। वहीं, देश में मुसलमानों के सबसे बड़े धार्मिक संगठन आॅल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने यूसीसी का विरोध जारी रखने का फैसला किया है। बोर्ड ने कहा कि वह इस सिलसिले में विधि आयोग के सामने अपनी दलीलों को और जोरदार ढंग से पेश करेगा।