RANCHI: भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक का झारखंड में डीबीटी प्रतिवेदन-2023 गुरुवार को जारी किया गया। महालेखाकार कार्यालय में जारी किए जाने से पूर्व इसे राज्य विधानसभा के शीतकालीन सत्र में भी प्रस्तुत किया गया। एकाउंटेंट जनरल ने डीबीटी के बेहतर उपयोग के लिए अपनी अनुशंसा भी दी हैं। इसमें एससी, एसटी, बीसी के छात्रवृत्ति के लिए सभी पात्र लाभार्थियों का इलेक्ट्रॉनिक्स डाटाबेस रखने को कहा है।
आवेदनों की पात्रता के सत्यापन की भी जरूरत बतायी है। भुगतान के लिए निगरानी और नियंत्रण प्रणाली को मजबूत करने को भी कहा है। अल्पसंख्यकों के स्कॉलरशिप के मामले में भी राज्य सरकार से पूरे राज्य में वित्तीय अनियमितताओं की रोकथाम के लिए जांच शुरू करने की सलाह दी है। दोषी अधिकारियों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने की भी अनुशंसा की है।
इस संबंध में एकाउंटेंट जनरल, झारखंड अनूप फ्रांसिस डुंगडुंग ने एजी कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि लोगों को समय पर सरकार से मिलने वाले लाभों के लिए डीबीटी (प्रत्यक्ष लाभ अंतरण) का उपयोग किया जाता है। झारखंड में डीबीटी (2017-21) पर नवंबर 2021 से मई 2022 के दौरान छह चयनित जिलों चतरा, हजारीबाग, पूर्वी सिंहभूम, गोड्डा, पलामू और रांची में सोशल सिक्योरिटी पेंशन स्कीम और स्कॉलरशिप स्कीम में डीबीटी के प्रभाव की पड़ताल की गई थी।
झारखंड में ई-कल्याण जैसे विशिष्ट आईटी प्लेटफार्म के उपयोग का भी मूल्यांकन इन जिलों में हुआ। अनूप के मुताबिक राज्य में स्कॉलरशिप योजना के क्रियान्वयन में कमी देखी गई। स्टूडेंट को मिल रहे छात्रवृत्ति का लाभ के मामले में जिला कल्याण पदाधिकारियों द्वारा इलेक्ट्रॉनिक्स डाटाबेस स्टूडेंट्स का तैयार नहीं किया गया। राज्य में अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति योजना का कार्यान्वयन भी बहुत निराशाजनक रहा। लेखा परीक्षा में नमूना जांच किए गए 60 प्रतिशत संस्थानों में फर्जी लाभार्थियों को लाभ दिए जाने का पता लगा। छात्रवृत्ति का लाभ ऐसे संस्थानों को भी किया गया जिन्होंने खुद को राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल पर पंजीकृत नहीं किया था।
योग्य लाभार्थियों को सामाजिक सुरक्षा पेंशन के लाभ में समस्या
अनूप फ्रांसिस डुंगडुंग ने बताया कि सार्वभौमिक आच्छादन के लिए योग्य लाभार्थियों का संपूर्ण आंकड़ा, जिला, राज्य स्तर पर पूर्ण रूप से तैयार नहीं किया गया। लाभार्थियों के बीच पेंशन के वितरण में विलंब के कारण आवेदकों को कठिनाईयों का सामना करना पड़ा। वर्ष 2017-21 के दौरान योजना का सामाजिक अंकेक्षण भी नहीं कराया गया।
अनूप ने जानकारी दी कि राज्य में ई- कल्याण एप्लिकेशन जनवरी 2015 से शुरू हो गया था लेकिन इसमें जून 2022 तक सुविधाएं शामिल नहीं की गई। एप्लिकेशन को आधार ई-केवाईसी के साथ एकीकृत नहीं किया गया था। यह बैंकों से भी नहीं जुड़ा था। एप्लिकेशन को राष्ट्रीय ई-छात्रवृत्ति पोर्टल (एनईएसपी) पर जून 2022 तक ट्रांसफर नहीं किया गया था। परियोजना प्रबंधन इकाई नवंबर 2017 से क्रियाशील नहीं थी। इसके कारण ई-कल्याण की निगरानी व्यवस्था अप्रभावी रही।