रांची: देवर्षि नारद सकारात्मक समाचारों के संवाहक थे। उनके संवाद का उददेश्य सकारात्मकता फैलाना था। लेकिन हमारे टेलीविजन और सीरियलों में देवर्षि नारद को इधर की बात उधर करनेवाले के तौर पर दिखाया गया, जो अनुचित है। यह बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कही। सुनील आंबेकर गुरुवार को रांची के आर्यभटट सभागार में देवर्षि नारद जयंति समारोह सह बिरसा हुंकार पत्रिका के लोकार्पण के अवसर पर बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि महर्षि नारद के संवाद की महत्ता है कि मौजूदा समय में हमारे विश्वविद्यालयों में महर्षि नारद को कम्युनिकेशन के एक पेपर के रूप में पढाया जाता है। कई बार लोग उत्सुकतावश गलत चीजों को आगे ले जाते हैं। ऐसे में महर्षि नारद की याद आती है।
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सत्य से परे नहीं हो समाचार
सुनील आंबेकर ने कहा कि कोई भी समाचार सत्य से परे नहीं होना चाहिए। समाचार के तथ्य और संभावनाएं अलग-अलग हो सकती हैं। ऐसा ही पहलगाम आतंकी हमले के बाद सेना की ओर से चलाए गए “ऑपरेशन सिंदूर” के समय हुआ, जब विश्व के कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों ने गलत तथ्यों को दुनिया के सामने रखा। लेकिन हमारे मीडिया संस्थान बधाई के पात्र हैं, जो घटनाओं को सटीक तरीके से रखा।
उन्होंने कहा कि यह भारत की सुरक्षा और दुनिया की शांति के लिए हानिकारक है। कई लोग उभरते भारत को हजम नहीं कर पा रहे हैं, जबकि हम सभी भारतीय एक हैं। ऑपरेशन सिंदूर” को पाकिस्तारन की ओर से भी गलत सूचनाएं परोसी गईं, जिसमें कहा गया कि उसकी सेना ने भारतीय विमान को मार गिराया।
हर भारतीय का मन एक
आंबेकर ने कहा कि हम सभी भारतीय का मन एक हैं। यही वजह है कि हजारों वर्षों के आक्रमण के बावजूद हमें कोई तोड़ नहीं सका। समाचारों में कटेंट बेहद महत्वपूर्ण है। एआई के जमाने में भी कटेंट की सार्थकता कभी खत्म नहीं होगी। उन्होंने कहा कि हमारी भाषाएं अलग-अलग नहीं हैं, बल्कि इसका अपना प्रवाह है, जो एक दूसरे जुड़ी है। हमारी भाषाओं को दर्जे की हिसाब से नहीं देखना चाहिए। मौजूदा समय में तकनीक हमारी भाषाओं को जोड़ने का काम करेगी।
हिन्दू संस्कृति के शुद्धतम रूप है जनजातीय समाज
सुनील आंबेकर ने कहा कि जनजतीय समाज हिन्दू संस्कृति के शुद्धतम रूप है। हम सभी प्रकृति पूजक हैं। एकत्व की अनुभूति ही हिन्दू धर्म है। इस बात को लोग धीरे-धीरे समझ रहे हैं और उसे आत्मसात भी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब राम मंदिर का निर्माण होने लगा, तो लोग तरह-तरह की बातें करने लगे। इससे यह पता चलता है कि हमारे इतिहास के पन्नों को इधर-उधर किया गया। लेकिन सही बातों को सही परिपेक्ष में रखना हम सभी का धर्म है और यही देशभक्ति भी है।
उन्होंने छत्तीसगढ के दंतेवाडा में नक्सली के नाम पर आंदोलन और इसाई मिशनरियों की ओर से धर्मांतरण का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि की इस बिहड में जब वनवासी कल्याण आश्रम की स्थापना हुई, तो वहां की परिस्थितियां बदलीं और लोग विकास की धारा में आगे बढ़ने लगे। उन्होंने उपस्थित लोगों से निरपेक्ष होकर काम करने का आह्वान किया। मौके पर उन्होंने पत्रिका से जुडे लोगों और सम्मानित हुए पत्रकारों को बधाई दी।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि विकास भारती के सचिव पद्मश्री अशोक भगत ने कहा कि देवर्षि नारद होनी के कारक के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने कहा कि नारदजी की पत्रकारिता को सकारात्मत नजरिए से देखना चाहिए। उन्होंने कहा कि सकरात्मक भाव बनाए रखना पत्रकारिता का धर्म है। सकरात्मकता सोशल मीडिया के दौर में बेहद जरूरी है।
इन पत्रकारों को किया गया सम्मानित
वहीं विश्व संवाद केंद्र के अध्यक्ष रामवतार नारसरिया ने सम्मानित होनेवाले पत्रकारों के नामों की घोषणा की। इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार सीताराम पाठक, महिला पत्रकार लता रानी और नवोदित पत्रकार की श्रेणी के लिए बलवीर कुमार का चयन किया गया। इसमे से सीताराम पाठक को अतिथियों ने स्मृति चिन्ह देकर उन्हें सम्मानित किया, जबकि अन्य दो पत्रकार उपस्थित नहीं हो सके।
इसके पूर्व बिरसा न्यास समिति के अध्यक्ष राजेंद्र कुमार मिश्रा ने पत्रिका के विषय में बताया कि इसका प्रकाशन वर्ष 2011 में शुरू हुआ। उन्होंने बताया कि इस पत्रिका की पांच हजार प्रतियां विभिन्न गांवों में निशुल्क भेजी जा रही हैं। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्रीय संघचालक देवव्रत पाहन, प्रांत प्रचारक गोपाल शर्मा, प्रचार प्रमुख प्रवीण दूबे, विजय कुमार, स्निग्ध कुमार रंजन, विवेक कुमार, चयन समिति के चंदन मिश्र, पत्रिका के संपादक डॉ मयंक मुरारी, संजय जैन,मयुर मिश्रा सहित संघ और भाजपा के कई नेता तथा कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
इनकी रही सहभागिता
इस कार्यक्रम में समाज के अनके वर्गों की सहभागिता रही। डॉ अजीत कुमार, डॉ तपन शांडिल्य,करमवीर सिंह,राकेश लाल, धनंजय सिंह, डॉ सुभाष यादव, संजय जैन, मयूर मिश्र, जिज्ञासा ओझा, प्रतिष्ठा सिंह, मनोज भारद्वाज, सुषमा कुमारी, संजीव गोस्वामी, विवेक सिंह, दीपक पांडेय, बिनायक मिश्र, पंकज वत्सल, चंदन मिश्र, डॉ गोपाल पाठक, डॉ मयंक मुरारी, शशांक राज, भानु जालान, राजीव कमल बिट्टू, विजय घोष, प्रशांत पल्लव, रवि प्रकाश, रोहित शारदा, निलेश कुमार, डॉ सतहिश मिद्धा, धनंजय पाठक, प्रकाश, विकास कुमार इत्यादि अनेकों गणमान्य व्यक्तियों के साथ साथ प्रेस के साथियों ने बड़ी संख्या में अपनी उपस्थिति दी।