बस्ती/लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भारत की शिक्षा कैसी होनी चाहिए। आजादी के पांच साल के बाद जब तत्कालीन सरकारें इस दिशा में प्रयास नहीं कर पाईं, तब नानाजी ने गोरखपुर से इस प्रयास को बढ़ाया था। उसके पीछे का ध्येय था कि भारत, भारतीयता, परंपरा, संस्कृति और मातृभाव से ओतप्रोत ऐसे शिक्षण संस्थान की स्थापना आवश्यक है, जो देश को फिर से विश्व गुरु के रूप में स्थापित करने में योगदान दे सकें। इसकी शुरूआत शिक्षा के मंदिरों से ही होती है। शिक्षण संस्थान केवल अक्षर ज्ञान के माध्यम ही नहीं, बल्कि बालक के सर्वांगीण विकास की आधारशिला हैं। शिक्षा यदि संस्कार, मूल्यों-आदर्शों, मातृभूमि, महापुरुषों, राष्ट्रीयता के प्रति समर्पण का भाव पैदा नहीं कर पा रही है तो वह कुशिक्षा और भटकाव है। आजादी के तत्काल बाद उसका समाधान सरस्वती शिशु मंदिर से प्रारंभ हुआ।
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को सरस्वती विद्या मंदिर वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय बसहवा का भूमि पूजन, शिलान्यास, पौधरोपण व पुस्तक का विमोचन भी किया। आरएसएस के तत्कालीन प्रचारक नानाजी देशमुख के नेतृत्व में सरस्वती शिशु मंदिर की पहली शाखा गोरखपुर में स्थापित की गई थी। विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षण संस्थान के मातृभूमि होने का सौभाग्य गोरक्ष प्रांत को प्राप्त है। विद्या भारती के अंतर्गत संचालित हजारों शिक्षण-प्रशिक्षण संस्थान राष्ट्र निर्माण के जिस अभियान के साथ जुड़े हैं, उसकी ताकत देश-दुनिया समझती है।
शिशु मंदिर से निकले छात्र समाज का नेतृत्व भी कर रहे और मार्गदर्शन भी
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि पाठ्यक्रम सरकार तैयार करती है। सरकार सहयोग करे या न करे। बिना सरकार की सहायता के अपने दम और स्वयंसेवकों के सहयोग से भारतीयता के प्रति अनुराग रखने वाले नागरिकों के माध्यम से सरस्वती शिशु मंदिर ने इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाया। गोरखपुर के पक्कीबाग में जब पहला सरस्वती शिशु मंदिर स्थापित हुआ तो उस समय मात्र पांच छात्र थे। आज शिशु मंदिर के 12 हजार विद्यालय हैं। यह संस्थान बच्चों के अंदर भारत व भारतीयता के प्रति नागरिक के रूप में कर्तव्यों का बोध कराने और सुयोग्य नागरिक बनाने के लिए राष्ट्रीय दायित्व का ईमानदारी से निर्वहन कर रहा है। सरस्वती शिशु मंदिर से निकले छात्र समाज को नेतृत्व भी दे रहे और मार्गदर्शन भी कर रहे हैं।
विरासत का करना होगा सम्मानमुख्यमंत्री ने कहा कि विरासत का सम्मान करना होगा। हमारे पूर्वजों (1953 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी) ने संकल्प लिया था कि एक देश में दो विधान, दो निशान, दो प्रधान नहीं चलेंगे। कश्मीर में शेष भारत का कानून लागू करने का शंखनाद किया था। उन्हें बलिदान भी देना पड़ा। 1952 में कांग्रेस ने बाबा साहेब के न चाहने के बावजूद जबरन लागू किया, लेकिन पीएम मोदी ने डॉ. मुखर्जी के संकल्प को साकार कर आतंकवाद व भारत विरोधी गतिविधियों-साजिशों को समाप्त करके कश्मीर को भारत के कानून के साथ जोड़ा। 500 वर्ष का इंतजार समाप्त हुआ और अयोध्या में रामलला के मंदिर का निर्माण हुआ। विपक्षी दल चाहते थे कि यह नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रभु श्रीराम आदर्श व भारतीयता के प्रतीक हैं। जब महर्षि वाल्मिकी ने नारद जी से पूछा कि मुझे कुछ लिखना है, ऐसा कौन सा आदर्श है। तब उन्होंने कहा कि इस धरती पर एक ही चरित्र है, आप श्रीराम पर लिखें। हमें महर्षि वाल्मीकि, प्रभु राम, श्रीकृष्ण की परंपरा पर गौरव की अनुभूति है। भारत और भारतीयता के लिए जिन महापुरुषों व स्वतंत्र भारत में सीमाओं की रक्षा करते हुए जिन्होंने बलिदान दिया, वे सभी हमारे आदर्श हैं। उनका सम्मान और विरासत का संरक्षण करना हर भारतीय का दायित्व है।
चार-छह घंटे सोशल मीडिया पर देने लगे तो शरीर को धोखा दे रहे हैंमुख्यमंत्री ने एआई को सतर्कता व सावधानी को बढ़ाने के लिए सबक बताया। उन्होंने तस्वीरों से छेड़छाड़-ब्लैकमेलिंग, साइबर फ्रॉड, डिजिटल अरेस्ट पर भी बातचीत की। सरकार के इससे जुड़े सुरक्षा के कदम को भी गिनाया। उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी का उपयोग उतना ही हो, जो हमारे लिए उपयोगी हो। चार-छह घंटे यदि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर दे रहे हैं तो श्रम और शरीर को भी धोखा दे रहे हैं। असमय आंखें भी जवाब देने लग जाएंगी। सीएम ने चैटबॉट, जीपीटी की उपयोगिता पर भी चर्चा की। सीएम ने इसके सदुपयोग व दुरुपयोग पर भी चर्चा की और कहा कि इस पर निर्भरता नहीं होनी चाहिए, क्योंकि खुद को समक्ष नहीं बनाएंगे तो प्रतियोगी परीक्षाओं में यह कारगर नहीं होगा। इसलिए जानकारी आवश्यक है। जीवन में पहाड़ नहीं खड़े होने देने हैं, बल्कि इसे सरल बनाना है।
इस दौरान विद्या भारती के क्षेत्रीय संगठन मंत्री हेमचंद्र, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचारक रमेश, हर्रैया विधायक अजय सिंह, जिला पंचायत अध्यक्ष संजय चौधरी, गोसेवा आयोग के उपाध्यक्ष महेश शुक्ला, प्रांत मंत्री शैलेष कुमार सिंह, प्रधानाचार्य गोविंद सिंह, कोषाध्यक्ष प्रहलाद मोदी, भाजपा जिलाध्यक्ष विवेकानंद मिश्र आदि मौजूद रहे।