Jaipur। महानगर के अतिरिक्त मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट ने 6 लाख रुपये का लोन देकर 11 लाख रुपए की वसूली करने के बाद 18 लाख रुपये बकाया निकालने और धोखाधडी करने के मामले में एडलवेस एसेट रिकन्सट्रक्शन कंपनी व उसके कर्मचारी के खिलाफ झोटवाडा थाना पुलिस को मामला दर्ज कर जांच करने के आदेश दिए हैं। अदालत ने यह आदेश मुन्ना मनीहार के परिवाद पर दिए।
परिवाद में अधिवक्ता मोहित खंडेलवाल ने अदालत को बताया की परिवादी ने वर्ष 2006 में जीई मनी फाइनेंस कंपनी से 9.83 फीसदी ब्याज दर से छह लाख रुपये की राशि का होम लोन लिया था। जिसे 156 माह में ब्याज सहित लौटाना था। यह कंपनी अब इडलवेस एसेट कंपनी के स्वामित्व के अधीन आती है। परिवादी ने अब तक कुल दी जाने वाली 14.17 लाख रुपये में से 11 लाख रुपए से अधिक का भुगतान कर दिया है। इसके बावजूद भी कंपनी के कर्मचारी 18 लाख रुपये और बकाया बताकर उसे जमा कराने के लिए प्रताडित कर रहे हैं। कंपनी के कर्मचारियों ने दस्तावेजों में हेराफेरी कर किस्त की अवधि को बढाकर 270 माह कर दिया और उससे 17.43 फीसदी की दर से वसूली करना चाहते हैं। परिवाद में कहा गया की कंपनी होम लोन की आड में उसके मकान पर कब्जा करना चाहती है। इस संबंध में पुलिस के उच्चाधिकारियों को शिकायत दी गई, लेकिन पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया। ऐसे में झोटवाडा थाना पुलिस को एफआईआर दर्ज कर जांच के आदेश दिए जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने झोटवाडा पुलिस को मामला दर्ज कर जांच करने को कहा है।