भोपाल। मध्यप्रदेश की 16वीं विधानसभा का पहला सत्र सोमवार से शुरू हो गया है। इस चार दिवसीय सत्र में नवनिर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाई जा रही है। इसी बीच सत्र के पहले दिन पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं नवनिर्वाचित विधायक नरेंद्र सिंह तोमर ने विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल किया। विधानसभा में दलीय स्थिति को देखते हुए निर्विरोध निर्वाचन होगा। विपक्ष ने भी उन्हें अपना समर्थन दिया है। विधानसभा अध्यक्ष का चयन 20 दिसंबर को होगा। विधानसभा के सामयिक अध्यक्ष (प्रोटेम स्पीकर) गोपाल भार्गव उन्हें शपथ दिलाएंगे। इसी दिन राज्यपाल मंगुभाई पटेल का अभिभाषण होगा।
मप्र विधानसभा के इस विशेष सत्र की सोमवार सुबह 11 बजे शुरुआत हुई। पहले दिन निर्वाचित सदस्यों को सामयिक अध्यक्ष गोपाल भार्गव शपथ दिला रहे हैं। सबसे पहले विधानसभा के नवनिर्वाचित सदस्य एवं मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने पद और गोपनीयता की शपथ ली। इसके बाद अन्य विधायक शपथ ग्रहण कर रहे हैं। पूर्व सांसद एवं सीधी से नवनिर्वाचित विधायक रीति पाठक ने संस्कृत में शपथ ग्रहण की। विधायकों के शपथ ग्रहण के बीच आसंदी के पास लगी तस्वीरों में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला। यहां जवाहर लाल नेहरू की तस्वीर की जगह डा. भीमराव आंबेडकर की तस्वीर लगाई गई।
210 विधायकों ने करवाया पंजीयन
विधानसभा के प्रमुख सचिव अवधेश प्रताप सिंह ने बताया कि अभी तक 210 विधायकों ने अपने आवश्यक दस्तावेज जमा करने के साथ पंजीयन कराया है। शेष नवनिर्वाचित विधायकों की औपचारिकताएं पूरी करने के लिए विधानसभा सचिवालय में बनाए स्वागत कक्ष में अधिकारी उपस्थित रहेंगे और विधायकों का पंजीयन करेंगे।
सत्र के दौरान विधानसभा की सुरक्षा व्यवस्था कड़ी रहेगी। एक हजार पुलिस के जवान सुरक्षा में तैनात किए गए हैं। विधायक अपने परिजन के अतिरिक्त केवल एक बाहरी व्यक्ति को प्रवेश दिला पाएंगे। विधानसभा परिसर के प्रवेश द्वार और दीर्घा में प्रवेश से पहले जांच होगी। खाने-पीने की वस्तु, चप्पल-जूते बेल्ट आदि सामग्री दीर्घा के बाहर रखवाई जाएगी।
प्रमुख सचिव सिंह ने बताया कि सत्र के दौरान पहले दो दिन विधायकों की शपथ होगी और बुधवार को अध्यक्ष का निर्वाचन होगा। विधानसभा में 163 सदस्य भाजपा और 66 सदस्य कांग्रेस के हैं, इसलिए निर्विरोध निर्वाचन होगा। उधर, छिंदवाड़ा से निर्वाचित कमल नाथ ने विधानसभा के इस सत्र से अनुपस्थिति की अनुमति मांगी है। उन्होंने सामयिक अध्यक्ष को पत्र लिखकर कहा है कि वे इस सत्र में उपस्थित नहीं रह पाएंगे। अब उन्हें बाद में शपथ दिलाई जाएगी।
उपाध्यक्ष को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं
उपाध्यक्ष का पद विपक्ष को मिलेगा या नहीं, इसको लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। दरअसल, 15वीं विधानसभा में अध्यक्ष के निर्वाचन के समय कांग्रेस और भाजपा के बीच मतभेद हो गए थे। भाजपा ने अध्यक्ष पद के लिए अपना उम्मीदवार उतार दिया था। चुनाव में कांग्रेस के एनपी प्रजापति विजयी हुए थे, लेकिन इसके बाद उपाध्यक्ष का पद भी कांग्रेस ने विपक्ष को नहीं दिया। लांजी से विधायक रहीं हिना कांवरे को उपाध्यक्ष बनाया था।
कांग्रेस पर लगा था यह आरोप
मार्च 2020 में जब सत्ता परिवर्तन हुआ तो कांग्रेस ने यह पद परंपरा के अनुसार विपक्ष को देने की बात उठाई पर सरकार ने कांग्रेस पर परंपरा को तोड़ने का आरोप लगाते हुए पद नहीं दिया और स्वयं भी किसी को उपाध्यक्ष नियुक्त नहीं कर पाई। अब देखना यह है कि इस बार भी उपाध्यक्ष का पद बहुमत के आधार पर सत्तापक्ष अपने पास रखता है या फिर परंपरा का पालन करते हुए विपक्ष को देता है।