रांची। रांची सिविल कोर्ट ने सोमवार को पूर्व नक्सली कुंदन को पाहन को साक्ष्य अभाव में बरी कर दिया है। कुंदन पाहन पर पुलिस टीम पर हमला करने का आरोप था। 24 अक्टूबर 2009 को यह घटना हुई थी।
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रांची सिविल कोर्ट ने सरेंडर के बाद जेल में बंद पूर्व नक्सली कुंदन पाहन को पुलिस की टीम पर हमला करने के मामले में साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है। सिविल कोर्ट के अपर न्यायायुक्त संजीव झा की कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनाई के बाद अलातल ने कुंदन को बरी कर दिया। अभियोजन पक्ष की ओर से अदालत में 2 गवाह पेश किए गए, जबकि कुंदन पाहन की ओर से अधिवक्ता ईश्वर दयाल ने पक्ष रखा।
पुलिस में दर्ज प्राथमिकी के मुताबिक पुलिस टीम पर जानलेवा हमले की यह घटना 24 अक्टूबर 2009 की है। पुलिस को सूचना मिली थी कि जोन्हा फॉल के पास उग्रवादी किसी बड़ी घटना को अंजाम देने वाले हैं। सूचना पर मूरी ओपी और अनगड़ा थाना की पुलिस वहां पहुंची। इसी दौरान पुलिस और नक्सलियों के बीच फायरिंग शुरु हो गयी। पुलिस को भारी पड़ता देख लक्सली भाग गए। पुलिस ने मौके से विस्फोटक और हथियार बरामद किया था। इस संबंध में रांची के अनगड़ा थाना में कुंदन पाहन सहित अन्य के विरुद्ध कांड संख्या 61/2009 दर्ज की गई थी।
उल्लेखनीय है कि मामले में कई नक्सली पहले ही बरी हो चुके हैं। कुंदन पाहन 14 मई 2017 से जेल में बंद है। उसने झारखंड पुलिस के समक्ष खुद को सरेंडर किया था। कुंदन पर अपहरण, लूट, हत्याकांड जैसे 100 से अधिक मामले विभिन्न थानों में दर्ज हैं। उस वक्त बुंडू, तमाड़ और अड़की के इलाकों में कुंदन पाहन का आतंक सिर चढ़कर बोलता था।