शिमला। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी भारत में सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार क्रांति के जनक हैं और आज उनके प्रयासों के फलस्वरूप देश सूचना एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में निरन्तर प्रगति कर रहा है। उन्होंने कहा कि आज भारत सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर भारत का महत्त्वपूर्ण स्थान है।
शनिवार को शिमला के शोघी में 11 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित विज्ञान अध्ययन एवं सृजन केन्द्र के लोकार्पण के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि इस केंद्र की स्थापना से युवा मन में विज्ञान के प्रति जिज्ञासा उत्पन्न होगी और वे वैज्ञानिक सिद्धांतों को अधिक प्रभावी ढंग से समझ सकेंगे। इसके अलावा, प्रदेश के विद्यार्थियों को विज्ञान के अध्ययन व अनुभव के लिए राज्य से बाहर जाने की आवश्यकता नहीं होगी।
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उन्होंने कहा कि देश के अग्रणी वैज्ञानिकों की उपलब्धियों को प्रदर्शित करने के लिए इस केंद्र में एक हॉल ऑफ फेम स्थापित किया गया है। इसके अतिरिक्त, इसने एक पुस्तकालय और एक यू-टयूब स्टूडियो भी है। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों और शिक्षकों की सुविधा के लिए एक छात्रावास का निर्माण किया गया है, जिससे प्रदेश के दूरदराज के क्षेत्रों के लोगों को विज्ञान से संबंधित गतिविधियों में सम्मिलित होने में सुविधा होगी।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा शत प्रतिशत वित्त पोषित विज्ञान अध्ययन एवं सृजन केन्द्र (सीएसएलसी) विज्ञान शिक्षा क्षेत्र में अभूतपूर्व क्रांति लाने के साथ-साथ विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों के लिए वरदान साबित होगा। यह अत्याधुनिक संस्थान हिमकोस्टे और राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद (एनसीएसएम) के संयुक्त तत्वावधान में तैयार किया गया है। इसके सभी संस्थागत खण्डों में 60 इंटरैक्टिव विज्ञान प्रदर्शनियां, विषयवार दीर्घाएं और सूचना विज्ञान प्रदर्शनियां हैं।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्र में एक आधुनिक तारामंडल का संचालन वर्ष 2024 के अंत तक पूरा हो जाएगा जो खगोलीय शिक्षा को प्रोत्साहित करने में मददगार साहिब होगा। उन्होंने केंद्र में प्रदर्शित प्रदर्शनियों का गहराई से अवलोकन करते हुए कहा कि यह केन्द्र प्रदेश में नवीन विचारों और नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देने की राज्य सरकार की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 में आधारशिला रखने के साथ शुरू हुई इस परियोजना को वर्ष 2023 को मूर्तरूप मिला है।