पटना : बिहार में नीतीश कुमार सरकार ने औपचारिक रूप से राज्य सरकार की नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में वंचित जातियों के लिए आरक्षण कोटा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत कर दिया है। राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर की मंगलवार को मंजूरी मिलने के बाद बढ़े हुए कोटा के कार्यान्वयन का मार्ग प्रशस्त हो गया। इसके साथ ही बिहार में 65 प्रतिशत आरक्षण का रास्ता अब साफ हो गया। इससे एससी-एसटी, ओबीसी, ईडब्ल्यूएस वर्ग के लोगों के बीच आरक्षण का दायरा बढ़ जायेगा।
राज्यपाल आर्लेकर ने प्रस्तावित परिवर्तनों का समर्थन करते हुए, दोनों विधेयकों – बिहार पदों और सेवाओं में रिक्तियों का आरक्षण संशोधन विधेयक और बिहार आरक्षण (शैक्षिक संस्थानों में प्रवेश) संशोधन विधेयक- 2023 के लिए राज्य सरकार को औपचारिक अधिसूचना भेजी। यह कदम हाल ही में शीतकालीन सत्र के दौरान राज्य विधानमंडल द्वारा दोनों विधेयकों को मंजूरी दिये जाने के बाद उठाया गया, जो सरकार द्वारा विधानसभा में ऐतिहासिक जाति सर्वेक्षण रिपोर्ट का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत करने के तुरंत बाद हुआ।
बिल में संशोधन विभिन्न श्रेणियों के लिए आरक्षण प्रतिशत में वृद्धि की रूपरेखा तैयार करता है, जिसमें अनुसूचित जाति (एससी) 16 प्रतिशत से बढ़कर 20 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति (एसटी) एक प्रतिशत से बढ़कर दो प्रतिशत, अत्यंत पिछड़ी जाति (ईबीसी) 18 प्रतिशत हो गयी है। आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के लिए आरक्षित मौजूदा 10 प्रतिशत कोटा को ध्यान में रखते हुए, नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण की कुल मात्रा अब राज्य में 75 प्रतिशत तक पहुंच जायेगी। यह कदम सामाजिक असमानताओं को दूर करने और समावेशिता को बढ़ावा देने की सरकार की प्रतिबद्धता के अनुरूप है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा राजभवन से औपचारिक मंजूरी प्राप्त करने वाले विधेयकों के बारे में आशावाद व्यक्त करने के कुछ ही दिनों बाद राज्यपाल अर्लेकर की त्वरित सहमति प्राप्त हुई। उभरते सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य के साथ आरक्षण नीतियों को संरेखित करने में सरकार का सक्रिय दृष्टिकोण समाज के सभी वर्गों के लिए समान अवसरों के प्रति बिहार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।