खूँटी। राँची विश्वविद्यालय के नागपुरी विभाग के पूर्व प्राध्यापक डॉ गिरधारी राम गौंझू के देहान्त पर नागपुरी के चहेतों में शोक की लहर रही है। सभी के जुबां में जहाँ नागपुरिया भाषा के साथ रहन-सहन, वेषभूषा और रीति-रिवाज और बुझता परम्परा को जगाने वाले डॉ गिरधारी राम गौंझू के निधन पर ग्राम विकास समिति गुटजोरा की अगुवाई में जनसमुदाय द्वारा शोक व्यक्त कर श्रद्धांजली दी गयी। खूँटी के गुटजोरा स्थित मंदिर परिसर में शोकसभा आयोजित कर स्व. गिरधारी राम गौंझू की आत्मा की शान्ति के लिए अधिवक्ता पारसनाथ महतो की अध्यक्षता में दो मिनट का मौन रखा गया और उनके आत्मा की शान्ति की कामना की गई। पारसनाथ महतो ने कहा कि झारखंड के नागपुरी संस्कृति के प्रकाण्ड विद्वान नागपुरी लेखक थे। जिनके द्वारा नागपूरी भाषा व संस्कृति को बल मिला है। कैलाश महतो ने कहा कि नागपुरी संस्कृति झारखण्ड का गौरव है। जिसको राज्य भर में परिचित कराकर भाषाविद् जानकार निर्माण कराने वाले राँची विश्वविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष डॉ० गिरधारी राम गौंझू (गिरिराज) का निधन एक अपूर्णीय क्षति है।
इस दौरान में कैलाश महतो, नागेश्वर महतो, रनु महतो, अरुण महतो कान्हू स्वांसी, रधूराम महतो, जीतबाहन महतो रामचन्द्र महतो, महावीर लोहरा, मोहन महतो, रामा महतो, पवन कश्यप, जितु प्रमाणिक, उपेन्द्र महतो आदि अनेक लोग उपस्थित थे।
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