रांची: सरला बिरला विश्वविद्यालय परिसर में शुक्रवार को चित्रपट झारखंड फिल्म फेस्टिवल का भव्य शुभारंभ हुआ। मौके पर पद्मभूषण एवं पूर्व लोकसभा उपाध्यक्ष कड़िया मुण्डा ने कहा कि आज भी हमारे यहां मानसिक गुलामी है। हम सभी देश के सेवक हैं और हम देश को किस ओर ले जाना चाहते हैं, यह हमें तय करना है। उन्होंने कहा कि आज की फिल्में भारतीय संस्कृति की संवाहक नहीं बल्कि विरोधी हैं। समाज में अच्छी खबरों को प्रकाशित करना, महत्व देना एवं उसे प्रसारित करना अति आवश्यक है। अच्छी सोच निर्माण करने वाली फिल्में बनाने की आवश्यकता है। जब सोच बदलेगा, काम भी बदलेंगे तभी देश, समाज तथा वातावरण बदलेगा।
उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्य की बात है कि हमारे लोक सेवक स्वयं को लोक का मालिक समझते हैं। आज के फिल्म निर्माता का यह महान दायित्व है कि वो इस सोच को बदलने के लिए काम करें। उन्होंने कहा कि प्रत्येक को गिलहरी की तरह अपनी क्षमता, योग्यता और सामर्थ्य के अनुरूप प्रयास अवश्य करना चाहिए।
राज्यसभा सांसद डॉ. महुआ माजी ने कहा कि अपने झारखंड में भाषा, संस्कृति तथा प्रकृति के समृद्ध विरासत के साथ साथ कला साहित्य का भी सामर्थ्य प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है और ऐसे प्रयासों से ही यह क्षेत्र अपने राज्य में एक आकार ले सकता है। उन्होंने कहा कि विकास का पश्चिमी मॉडल आज पूरी दुनिया को नाश करने में लगा है। प्राकृतिक रूप से झारखंड में फिल्म निर्माण की अपार संभावनाएं हैं।
अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख नरेंद्र कुमार ने कहा कि यदि राष्ट्र को गढ़ना है तो हमें सकारात्मक सोच के साथ फिल्में बनानी होंगी। उन्होंने चित्र भारती के उद्देश्यों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारतीय फिल्म संस्कृति, रीति – रिवाज, परंपरा एवं जीवन शैली को महत्व दिए जाने के लिए बनाई जानी चाहिए।
फिल्म फेस्टिवल आयोजन समिति के अध्यक्ष सह सरला बिरला विश्वविद्यालय के मुख्य कार्यकारी पदाधिकारी डॉ प्रदीप कुमार वर्मा ने कहा कि सिनेमा समाज का दर्पण होती है। हमारी अनदेखी के कारण हमारी संस्कृति पर अपसंस्कृति की धूल लग जाती है। सार्थक सिनेमा से समृद्ध संस्कृति विकसित होती है।
इस अवसर पर डॉ सुशील कुमार अंकन द्वारा निर्मित तथा राकेश रमण द्वारा लिखित लघु फिल्म चित्रपट झारखंड की यात्रा का उद्घाटन फिल्म के रूप में प्रदर्शन किया गया । अतिथियों ने भारतीय चित्र साधना के आगामी फिल्म फेस्टिवल के पोस्टर विमोचन किया एवं राकेश रमण द्वारा सम्पादित स्मारिका पथिक का विमोचन भी किया गया।
कार्यक्रम के आरम्भ में धरित्री कलाकेन्द्र द्वारा गणेश वंदना तथा सुखराम पाहन के दल के द्वारा मुंडारी समूह नृत्य प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ नीतू सिंघी ने किया। स्वागत समिति के अध्यक्ष अजय कुमार सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
इस अवसर पर जूरी सदस्य अशोक शरण, रूपेश कुमार के साथ साथ प्रथम नागपुरी फिल्म निर्माता डी एन तिवारी के अलावा चित्रपट के नंदकुमार सिंह, नरेंद्र कुमार, आलोक कुमार, राजेंद्र प्रसाद, सुमित मित्तल, संजय आजाद, आशुतोष द्विवेदी, नवीन कुमार सहाय, अजय कुमार, प्रवीण कुमार, डॉ संदीप कुमार, डॉ सुबानी बाड़ा, हरी बाबू शुक्ला, डॉ पार्थ पॉल, डॉ विश्वरूप सामंता, प्रो गौतम तांती, प्रो अमित गुप्ता,डॉ पूजा मिश्रा, डॉ रिया मुखर्जी, डॉ आरोही आनंद, प्रो आदित्य विक्रम वर्मा, डॉ भारद्वाज शुक्ला, डॉ विदुषी शर्मा, डॉ मुकेश कुमार सिंह, डॉ विद्या झा, चंद्र शेखर महथा, अमरेंद्र दत्त द्विवेदी, अनुभव अंकित, अमित नाथ चरण, रविंद्र तिवारी, ऋषि राज जमुआर, प्रशांत जमूआर सहित बड़ी संख्या में राज्य भर से फिल्म निर्देशक व निर्माता उपस्थित थे।