नई दिल्ली : संसद के विशेष सत्र के बीच सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की अहम बैठक हुई। वहीं, सूत्रों की मानें तो इस बैठक में महिला आरक्षण बिल को मंजूरी मिल गयी है।
इससे पहले इस बिल को लेकर कई तरह के कयास लगाये जा रहे थे, लेकिन तमाम कयासों को दरकिनार करते हुए केंद्रीय कैबिनेट ने आखिरकार सोमवार को इस बिल को मंजूरी दे दी। इस मंजूरी के बाद महिला आरक्षण बिल को लोकसभा में पेश किया जायेगा। बैठक में पीएम मोदी के अलावा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, कॉमर्स और इंडस्ट्री मंत्री पीयूष गोयल, संसदीय कार्यमंत्री प्रहलाद जोशी आदि मौजूद थे।
गौरतलब हो कि संसद के विशेष सत्र का ऐलान होने के बाद से अनुमान लगाये जा रहे थे कि पीएम मोदी एक बार फिर चौंकायेंगे। ऐतिहासिक कदम
बिल में लोस और राज्य विस में महिलाओं के लिए 33 फीसदी या एक तिहाई सीटें आरक्षित करने का प्रस्ताव : महिला आरक्षण विधेयक में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी या एक तिहाई सीटें आरक्षित करने का प्रस्ताव है। विधेयक में 33 फीसदी कोटा के भीतर एससी, एसटी और एंग्लो-इंडियन के लिए उप-आरक्षण का भी प्रस्ताव है।
विधेयक में प्रस्तावित है कि प्रत्येक आम चुनाव के बाद आरक्षित सीटों को रोटेट किया जाना चाहिए। आरक्षित सीटें राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में रोटेशन द्वारा आवंटित की जा सकती है। इस संशोधन अधिनियम के लागू होने के 15 साल बाद महिलाओं के लिए सीटों का आरक्षण समाप्त हो जायेगा।
27 सालों से पेंडिंग है बिल :
करीब 27 सालों से लंबित महिला आरक्षण विधेयक अब संसद के पटल पर आयेगा। आंकड़ों के मुताबिक, लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या 15 फीसदी से कम है, जबकि राज्य विधानसभा में उनका प्रतिनिधित्व 10 फीसदी से भी कम है। इस मुद्दे पर आखिरी बार कदम 2010 में उठाया गया था, जब राज्यसभा ने हंगामे के बीच बिल पास कर दिया था और मार्शलों ने कुछ सांसदों को बाहर कर दिया था, जिन्होंने महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण का विरोध किया था। हालांकि, यह विधेयक रद्द हो गया क्योंकि लोकसभा से पारित नहीं हो सका था।