खूंटी : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि उन्हें आदिवासी महिला होने पर गर्व है। देश में अपने क्षेत्रों में बेटियों और महिलाओं ने अमूल्य योगदान दिया है। महिलाएं नेतृत्व कर रही हैं। लोकतंत्र की शक्ति के कारण आज वे राष्ट्रपति के रूप में लोगों के बीच मौजूद हैं। बेटियां, बेटों से अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं। राष्ट्रपति खूंटी के बिरसा मुंडा कॉलेज में महिला स्वयं सहायता समूह सम्मेलन को संबोधित कर रही थीं।
राष्ट्रपति ने कहा कि मैं ओडिशा की हूं लेकिन मेरे शरीर में झारखंड का खून बह रहा है। उन्होंंने देश की आजादी में बड़ा योगदान देने वाले भगवान बिरसा मुंडा और फूलो-झानो को याद किया। राष्ट्रपति ने स्वयं सहायता समूहों को मिलने वाली सुविधाओं की बात की। साथ ही कहा कि महिला समूह के उत्पादों को मैंने देखा। उनके चेहरे की मुस्कान देखी। उन्होंने कहा कि जिस घर में जोबा मांझी बहू बनकर गयी हैं उसी घर से मेरी दादी थीं। इसलिए झारखंड से मेरा बहुत लगाव है। मेरा सौभाग्य है कि मैं झारखंड की राज्यपाल रही और आज मैं यहां मेहमान बनकर आयी हूं।
हमें अपने संस्कृति को बचाए रखना है
राष्ट्रपति ने आदिवासी संस्कृति और परंपराओं के संरक्षण पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत में 700 जनजातियां हैं लेकिन सबकी संस्कृति और परंपरा अलग है। हमें अपनी संस्कृति को बचाये रखना है, नहीं तो हम दुनिया की भीड़ में खो जायेंगे।
दहेज को लेकर जनजातीय समाज एक उदाहरण
राष्ट्रपति ने कहा कि जनजातीय समाज कई क्षेत्र में उदाहरण पेश करते हैं। हमलोग बिना दहेज के अपने घरों में बहू लाते हैं और दूसरे घरों में बिना दहेज के बेटी देते हैं। दूसरे समाज इसका अनुसरण नहीं कर पाते। देश में आज तक दहेज प्रथा खत्म नहीं हो पायी है। दहेज एक राक्षस है। इस संबंध में जनजातीय समाज का उदाहरण पूरे देश में अनुकरणीय है।