वाराणसी। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रचंड बहुमत हासिल कर सत्ता में लौटी है। इस चुनाव में कई मंत्री हार गए। लेकिन कई ऐसे चुनाव जीत गए जिनका सक्रिय राजनीति से दूर तक कोई नाता नहीं था। चंदौली जिले के चकिया सुरक्षित सीट से भाजपा के नवनिर्वाचित विधायक कैलाश खरवार। पेशे से सरकारी अध्यापक रहे हैं। वे चकिया विधानसभा के सिकंदरपुर इलाके के उदयपुर गांव निवासी हैं। बेहद साधारण व्यक्ति कैलाश खरवार बीते 40 साल से से आरएसएस से जुड़े हैं। पहले सरस्वती शिशु मंदिर में अध्यापक थे। बाद में सरकारी विद्यालय में नौकरी लग गई। इसी मार्च में रिटायर होने वाले थे, लेकिन जब भाजपा ने इनको चकिया सुरक्षित सीट से प्रत्याशी बनाया तो इन्होंने नौकरी छोड़ दी। कैलाश खरवार के परिवार में पत्नी, एक बेटा और दो बेटियां हैं, जिनमें एक बेटी की शादी हो चुकी है। श्री कैलाश बेहद सज्जन और हर किसी के सुख दुख में शामिल रहते हैं। किसी को जरूरत पड़ी तो साइकिल और झोला उठाकर मदद के लिए निकल पड़ते हैं। पहले इनके पास एक साइकिल थी, बाद में उन्होंने स्कूटी खरीदी। वाहन के नाम पर आज सिर्फ एक पुरानी स्कूटी है। कैलाश खरवार से चुनाव लड़ने के लिए कहा गया तो वे इसके लिए तैयार नहीं हो रहे थे। उनका कहना था कि राजनीति में नहीं संघ से जुड़े रहकर संघ का कार्य करना है। लेकिन जब संगठन और पार्टी ने उन्हें समझाया, तब वे चुनाव लड़ने के लिए तैयार हुए।
चकिया सुरक्षित सीट से भाजपा ने अपने मौजूदा विधायक शारदा प्रसाद का टिकट काटकर कैलाश खरवार को प्रत्याशी बनाया तो लोगों को काफी आश्चर्य हुआ। क्योंकि इलाके में कैलाश खरवार की पहचान कुछ और ही थी और सक्रिय राजनीति से इनका कुछ भी लेना देना नहीं था। दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी ने जितेंद्र कुमार को अपना प्रत्याशी बनाया। जितेंद्र कुमार कई साल पहले बसपा में थे और बसपा से विधायक भी चुने गए थे।
बेहद साधारण व्यक्तित्व और राजनैतिक दांव पेचों से कोसों दूर रहने वाले कैलाश खरवार को चकिया की जनता ने अपना विधायक चुना। इस चुनाव में कैलाश खरवार को 97812 वोट मिले, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी समाजवादी पार्टी के जितेंद्र कुमार को 88561 वोट मिले। वहीं बहुजन समाज पार्टी के विकास कुमार को 44530 मत मिले।