उज्जैन। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा है कि भगवान बुद्ध ने हमें जीवन में शांति, प्रेम, करुणा पर चलने का सिद्धांत दिया है, उसका अनुसरण करके हम विश्व को जीत सकते हैं। विश्व शांति का जो संदेश गौतम बुद्ध द्वारा दिया गया, वह आज भी सार्थक है। भगवान बुद्ध के विश्व में सबसे ज्यादा अनुयायी हैं। भगवान बुद्ध द्वारा बताए गए मार्ग का पालन करने वाला एकमात्र देश भारत है। विश्व बंधुत्व और सबके कल्याण की भावना हमारे लिए प्राथमिकता है। कोविड महामारी के समय हमने 40 से अधिक देशों की सहायता की है। विश्व बंधुत्व का भाव लेकर चलने वाला देश केवल भारत ही है। भगवान बुद्ध और बाबासाहेब अंबेडकर के द्वारा दिए गए सिद्धांतों से आज भारत पूरे विश्व में एक अलग स्थान रखता है। भगवान बुद्ध ने आज से ढाई हजार साल पहले जो बातें कही थीं, वह दुनिया के लिए आज भी अनुकरणीय है।
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मुख्यमंत्री डॉ. यादव सोमवार को उज्जैन के अशोक बुद्ध विहार में बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर भगवान गौतम बुद्ध की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर नमन किया। उन्होंने भारतीय बौद्ध महासभा उज्जैन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में भगवान बुद्ध जयंती की शुभकामनाएं दीं। इस अवसर पर सांसद अनिल फिरोजिया, विधायक अनिल जैन कालुहेड़ा, विधायक सतीश मालवीय, सभापति कलावती यादव,जनप्रतिनिधि संजय अग्रवाल आदि उपस्थित रहे।
मुख्यमंत्री ने उपस्थित जन समूह को संबोधित करते हुए कहा कि भगवान बुद्ध के जीवन से ज्ञान लेकर हम सारे भारतीय आगे बढ़ रहे हैं और विश्व बंधुत्व को अपनाते हुए प्रेम ,करुणा, सत्य, समता के भाव को आगे बढा रहे है। भगवान् बुद्ध राज-पाट छोड़कर जब ज्ञान की खोज मे निकले थे और कठिन तप के बाद जो ज्ञान विश्व को दिया , उसका अनुसरण ही हम सबका उदेश्य होना चाहिए। समता मूलक समाज से हम उन्नति, विकास और सबके कल्याण के मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं।
मुख्यमंत्री डॉ यादव ने बताया कि मप्र मे सांची बुद्ध धर्मावलंबियों के लिए महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। बुधिस्टों के लिए सांची आना सौभाग्य की बात है, देश में बुद्ध सर्किट में सांची का प्रमुख स्थान है। उन्होंने कहा कि भारतीय खगोल विज्ञान के अनुसार बनाए गए तिथि, पूर्णिमा, अमावस्या,पखवाड़ा, ग्यारस,अपने आप में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। बुद्ध पूर्णिमा पर भगवान बुद्ध का जन्म होना, पूर्णिमा के दिन ही संत रविदास का जन्म होना अन्य बड़े संत महात्माओं का जन्म पूर्णिमा को हुआ है। पूर्णिमा पर जब चंद्रमा की 16 कलाएं पूर्ण हो जाती हैं, तो एक दिव्य प्रकाश निकलता है। ऐसे महापुरुषों ने पूर्णिमा के दिन जन्म लेकर अपने ज्ञान के प्रकाश से विश्व को रौशन किया है।
उन्होंने कहा कि विश्व में भारतीय ज्ञान परंपरा ही ऐसी परंपरा है,जो ऐतिहासिक काल से लेकर वर्तमान समय तक अक्षुण्णीय है और सबसे बड़ी बात है कि समाज के लिए आज भी अप्रसंगिक है। पांच हजार साल से भी अधिक पुराने हमारे ज्ञान को आज भी कोई चैलेंज नहीं कर पाया है। भारत विश्व गुरु है और विश्व गुरु रहेगा।