दिल्ली: भारत अब खुद 3 नये जासूसी विमान विकसित करेगा। इन जासूसी विमानों को सिग्नल इंटेलिजेंस(signals intelligence) और संचार जैमिंग सिस्टम(communication jamming system) विमान के रूप में भी जाना जाता है। यह परियोजना स्वदेशी रूप से संचालित की जायेगी और इसके अधिकांश उपकरण भारत में ही बनाये जायेंगे। इन जासूसी विमानों का प्रस्ताव पूरी तरह तैयार है और जल्द ही सरकार से मंजूरी मिलने की संभावना है।
सूत्रों के मुताबिक रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि, इस तरह के विमान की लंबे समय से जरूरत महसूस हो रही थी, लेकिन अब जाकर इस परियोजना को अंतिम रूप दे दिया गया है। रक्षा अनुसंधान और विकास प्रयोगशाला (DRDL) भारतीय वायु सेना के सहयोग से एयरबस-319 श्रेणी के विमान का उपयोग करके इस परियोजना का नेतृत्व कर रही है। सरकार से मंजूरी मिलने के बाद प्लेटफॉर्म के अधिग्रहण के लिए संबंधित एजेंसियां विमान निर्माताओं को निविदा जारी करेंगी।
उन्होंने यह भी बताया कि, भारत 3 नये जासूसी विमानों को विकसित करने के साथ अपनी रक्षा क्षमताएं बढ़ाने के कगार पर है। सेंटर फॉर एयरबोर्न स्टडीज(Center for Airborne Studies) इस पहल की देखरेख कर रहा है और एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम(Airborne Early Warning and Control System) सहित विभिन्न परियोजनाओं पर काम किया जा रहा है।
भारत ने 3 जासूसी विमान विकसित करने की परियोजना पर वैश्विक निर्माताओं के साथ डेढ़ दशक पहले काम शुरू किया था। 2009 में विमान परियोजना के लिए एम्ब्रेयर और इजराइल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज को शॉर्टलिस्ट किया था लेकिन आॅफसेट नीति का खुलासा न किये जाने से यह परियोजना रद्द कर दी गयी थी। इसके 3 साल बाद वायु सेना ने इन विमानों के विकास और खरीद के लिए नया अनुरोध जारी किया। साल 2017 में अनुमानित 570 मिलियन डॉलर में 7 जासूसी विमानों के अधिग्रहण के लिए नया अनुरोध प्रस्ताव जारी किया गया था, लेकिन परियोजना परवान नहीं चढ़ पायी। इस बार के रक्षा बजट में वृद्धि की घोषणा के लगभग 1 सप्ताह बाद अब जासूसी विमानों का प्रस्ताव पूरी तरह तैयार कर लिया गया है और जल्द ही सरकार से मंजूरी मिलने की संभावना है। केंद्र ने 2024-25 के रक्षा बजट के लिए 6.21 लाख करोड़ रुपये अलग रखे हैं, जो पिछले साल के 5.25 लाख करोड़ रुपये के आवंटन से 4.72 प्रतिशत अधिक है। DRDO को बजटीय आवंटन 23,855Cr रुपये अलग से दिए गए हैं।