Palamu : युवा बेटे के जनाजे को कंधा देने का दु:ख क्या होता है ये वही बता सकता है, जिसने अपना जवान बेटा खोया हो और कुछ इसी तरह की लोमहर्षक पीड़ा से गुजरने को इन दिनों विवश हैं उत्पाद सिपाही की बहाली के दौरान दिवंगत हुए युवाओं के परिजन।
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जिले के छतरपुर थाना के कउवल गांव निवासी गिरिजा राम और उनकी पत्नी की सूनी आंखें आज भी अपने बेटे अरुण को ढूंढ रही है, जिसे कुछ दिन पूर्व ही डालटनगंज के चियांकी हवाई अड्डे पर काल की क्रूर नियति ने उनसे छीन लिया। अरुण अरुण कह कर अरुण की मां की चीत्कार से लोगों का कलेजा दहल रहा है। यूपीएससी की तैयारी कर रहे अरुण को क्या पता था कि एक सिपाही बनने के लिए उसकी जान चली जायेगी। निधन की सूचना मिलने के बाद इलाके के सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद गुप्ता चुनमून मृतक अरुण के घर पंहुचे और परिजनों को ढांढस बंधाया।
अरुण के पिता गिरिजा राम सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी हैं, जिनकी आंखें, बेटे के जाने के गम में निर्झर बह रही है। वहीं मां की मर्मान्तक चीखें भी गांववालों का सीना चाक कर रही है। समूचे कउवल गांव में मातमी सन्नाटा पसरा है।
मृतक के पिता गिरिजा राम का कहना है कि अरुण के इलाज़ में लापरवाही बरती गई है। इस घटना के लिए दोषी लोगों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। वहीं सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद गुप्ता चुनमून ने बहाली के दौरान चार युवाओं की मौत की जांच एसआईटी गठन कराने की मांग सरकार से की है। उन्होंने कहा कि अगर समय से युवाओं को सही चिकित्सा मिल जाती तो युवाओं की जान बचाई जा सकती थी। उन्होंने झारखण्ड सरकार से मृतक अरुण सहित सभी मृतक युवाओं के परीजनों को एक-एक करोड़ की अनुग्रह राशि और नौकरी देने की मांग की है। यह भी कहा कि जब सेना और पुलिस की बहाली में डेढ़ किमी की दौड़ होती तो उत्पाद सिपाही की बहाली में दस किमी की दौड़ कराना कहा तक सही है।
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