RANCHI: झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) ने बुधवार को खान विभाग में मंत्री रहते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (CM Hemant Soren) द्वारा खुद एवं अपने रिश्तेदारों को माइनिंग लीज आवंटन करने से संबंधित आरटीआई कार्यकर्ता एवं हाई कोर्ट के अधिवक्ता सुनील कुमार महतो की जनहित याचिका पर वर्चुअली फैसला सुनाया। साथ ही हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता सुनील महतो की जनहित याचिका खारिज कर दिया है।
इससे पहले सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता राजीव रंजन एवं अधिवक्ता पीयूष चित्रेश ने हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ को बताया था कि मुख्यमंत्री के माइनिंग लीज से संबंधित शिव शंकर शर्मा की दो जनहित याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। याचिकाकर्ता ने इस केस में आरोप लगाया है वह प्रेयर और आरोप शिव शंकर शर्मा के केस में भी था। सुनील कुमार महतो की याचिका में कुछ नया नहीं है, मुख्यमंत्री और उनके रिश्तेदारों पर एक ही तरह के आरोप लगे हैं, जिसे सुप्रीम कोर्ट खारिज कर चुकी हैं। ऐसे में सुनील कुमार महतो की जनहित याचिका को खारिज कर दिया जाना चाहिए।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता राजीव कुमार एवं विशाल कुमार ने कोर्ट में कहा था कि शिव शंकर शर्मा के मामले में केवल सीएम हेमंत सोरेन के माइंस लीज का मामला था लेकिन इस मामले में मुख्यमंत्री के माइनिंग लीज के अलावा उनकी पत्नी और साली को इंडस्ट्रियल एरिया में जमीन देने का भी है। कहा गया था कि सीएम हेमंत सोरेन ने खान विभाग के मंत्री पद पर रहते हुए संवैधानिक पद का दुरुपयोग किया है और स्वयं के लिए अनगड़ा में माइनिंग लीज आवंटित कर लिया है।
इसके अलावा उन्होंने अपनी पत्नी कल्पना सोरेन (Kalpana Soren) एवं साली सरला मुर्मू के फार्म को भी माइनिंग लीज आवंटित किया गया है। याचिकाकर्ता ने यह भी कहा था कि इन सभी बिंदुओं को लेकर संबंधित प्राधिकार के पास मुख्यमंत्री, उनके रिश्तेदारों एवं सहयोगियों की जांच करके कार्रवाई करने का अनुरोध किया था लेकिन किसी संबंधित प्राधिकार ने करवाई नहीं की। अंततः उन्होंने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की है ताकि संबंधित प्राधिकार को जांच कर कार्रवाई करने का आदेश पारित किया जाये। इसके बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।