रांची: झारखंड हाई कोर्ट(high court) में मांडर के चान्हो में बनने वाले एकलव्य स्कूल के लिए चयनित स्थान को दूसरी जगह बदलने के खिलाफ गोपाल भगत की जनहित याचिका की सुनवाई मंगलवार को हुई। मामले में केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार की ओर से जवाब दाखिल नहीं किए जाने पर हाई कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई है।
कोर्ट ने केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार पर 25-25 हजार रुपये का जुर्माना लगाते हुए अपनी मौखिक टिप्पणी में कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि अदालत के समय को जानबूझकर बर्बाद किया जा रहा है। मामले की सुनवाई जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में हुई। अगली सुनवाई पांच मार्च को होगी।
कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि जब हाई कोर्ट का अंतरिम आदेश दिया था कि स्कूल वहीं बनेगा, जहां इसका शिलान्यास किया हुआ था, इसके बाद भी नए जगह पर एकलव्य विद्यालय बनाने का क्या औचित्य है। किसकी इजाजत से पुराने स्थान को छोड़कर नए स्थान पर एकलव्य आवासीय विद्यालय को बनाने का निर्णय लिया गया। राज्य सरकार ने यथास्थिति बरकरार क्यों नहीं रखी थी? क्या सरकार
अदालत के आदेश से ऊपर है ?
इससे पूर्व सुनवाई में याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया कि नौ दिसंबर, 2022 को हाई कोर्ट ने अंतरिम आदेश देते हुए शिलान्यास किए जाने वाले स्थान पर एकलव्य विद्यालय बनाने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने भी हाई कोर्ट के आदेश में फेरबदल करने से इनकार कर दिया था। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि मांडर में एकलव्य विद्यालय के लिए जो सबसे पहले जगह चयनित हुआ है उसी जगह पर स्कूल बनाया जाए।
मांडर के चान्हो में एकलव्य स्कूल बनाने के लिए राज्य सरकार ने 52 एकड़ जमीन दी थी। इसके लिए केंद्र सरकार से 5.23 करोड़ रुपये फंड भी आवंटित किया लेकिन कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा उस स्कूल की लोकेशन को चेंज करने के लिए हंगामा किया गया था।