RANCHI: सिमडेगा जिले के सरकारी स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति शत प्रतिशत करने एवं उनकी उपस्थिति बढ़ाने के उद्देश्य से शुरू किये गए अनोखे ‘सीटी बजाओ, उपस्थिति बढ़ाओ’ अभियान का असर दिख रहा है। इस अभियान से ना केवल स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति बढ़ रही है, बल्कि बच्चों में नेतृत्व क्षमता का भी विकास हो रहा है।
सुबह आठ बजे स्कूल जाने के दौरान गांव-टोले में एक एक मॉनिटर के नेतृत्व में स्कूली बच्चे स्कूल ड्रेस पहनकर सीटी बजाते हुए स्कूल जाते है, जिससे अभिभावकों को यह पता चल जाता है कि स्कूल खुला है और उन्हें अपने बच्चों को भी स्कूल भेजना है। सीटी ग्रामीण इलाकों में अलार्म का काम करती है, जिससे अभिभावकों के साथ साथ बच्चे भी स्कूल की तैयारी में लग जाते है।
छात्र सीटी बजाते हुए उन घरों के सामने से गुजरते है, जहां रहने वाले बच्चे स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं। अपने सहपाठी को अपने साथ लेते हुए ये बच्चे स्कूल जाते है, जिसके स्कूलों में उपस्थिति की दिशा में सकारात्मक परिणाम देखने को मिले है। इस अभियान के शुरू होने के बाद बच्चे अभिभावकों को स्कूल बंद होने जैसा बहाना नहीं बना पाते हैं।
इस अभियान के तहत हर गांव-टोले के एक एक बच्चे को सीटी दी जाती है और उसे 20 से 25 बच्चे को स्कूल लाने की जिम्मेदारी दी जाती है। जिस बच्चे को यह जिम्मेदारी मिलती है, उसके अंदर प्रबंधन और नेतृत्व कौशल का भी जबरदस्त विकास होता है। गांव-टोले के अभिभावकों को यह मालूम होता है कि यदि उन्हें स्कूल से संबंधित कोई जानकारी चाहिए तो वह संबंधित छात्र से जानकारी ले सकता है। इतना ही नहीं, सीटी बजाने की जिम्मेदारी जिन बच्चों के कंधों पर होती है, वह गांव-टोलो में छात्रों के प्रतिनिधि की भूमिका भी निभाते है। हर स्कूल के बच्चों को चार हाउस में बांटा जाता है, हर हाउस के कप्तान को सीटी दी जाती है। साथ ही हर कक्षा के मॉनिटर को भी सीटी दी जाती है।
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अब राज्यभर में लागू करने की तैयारी
सिमडेगा में इस अनोखे अभियान की सफलता को देखते हुए अब राज्य शिक्षा परियोजना परिषद द्वारा इस अभियान को राज्य के अन्य जिलों के ग्रामीण इलाकों में भी लागू करने की तैयारी की जा रही है। सिमडेगा के सरकारी स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति राज्य में सर्वाधिक है। सिमडेगा में सर्वाधिक 76 प्रतिशत बच्चे स्कूल आ रहे है। इसमें जिले के ग्रामीण इलाकों के स्कूलों का अहम् योगदान है। अभियान के राज्य पदाधिकारी बदल राज बताते है कि यह एक कम लागत वाला मॉडल है, जो कारगर व सकारात्मक नतीजे दे रहा है। अभियान ग्रामीण इलाकों में इतना सफल है कि अब हर जिले में इसे लागू करने की तैयारी की जा रही है।
इस राज्य आधारित अभियान में सिर्फ स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने पर नहीं, बल्कि आउट ऑफ स्कूल, ड्राप आउट बच्चों को भी स्कूलों तक लाने का प्रयास किया जाएगा। शिक्षा सचिव के रवि कुमार इस कार्यक्रम को खुद मॉनिटर कर रहे हैं।