खूंटी: भारतीय जनता पार्टी ने संसदीय सीट से जनजातीय मामलों के केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा को एक बार फिर उम्मीदवार बनाया है। इसके साथ यह साफ हो गया कि इस बार भी चुनाव में मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच ही होगा। अन्य सभी राजनीतिक दल सिर्फ वोटकटवा साबित होंगे।
मुंडा जनजातीय बहुल खूंटी को वैसे तो भाजपा की परंपरागत सीट माना जाता है, जहां से पद्मभूषण कड़िया मुंडा आठ बार सांसद रह चुके हैं। वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में अर्जुन मुंडा कड़े मुकाबले में झामुमो समर्थित कांग्रेस उम्मीदवार काली चरण मुंडा को महज 1445 वोटों के अंतर पराजित कर संसद पहुंचे थे। वर्ष 1962 और 1967 के लोकसभा चुनाव में में झारखंड पार्टी के जयपाल सिंह मुंडा और 1971 में इसी पार्टी के निरल एनेम होरो (एनई होरो) ने यहां से जीत हासिल की थी।
वर्ष 1977 में हुए संसदीय चुनाव में जनता पार्टी के कड़िया मुंडा ने जीत हासिल की थी लेकिन 1980 के लोकसभा चुनाव में झारखंड पार्टी के एनई होरो ने उन्हें परास्त कर दिया। वर्ष 1984 में कांग्रेस के साइमन तिग्गा ने जीत हासिल की थी। वर्ष 1989, 1991, 1996, 1998, में 1999 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा के कड़िया मुंडा ने लगातार पांच बार जीत हासिल की। वर्ष 2004 और 2009 में भी कड़िया मुंडा यहां से सांसद चुने गये थे। वर्ष 2019 यहां से चुन गये और एक बार फिर वे चुनावी मैदान में हैं।
दयामनी बारला को लेकर अटकलों का बाजार गर्म:
एक ओर जहां भाजपा ने खूंटी से अपने उम्मीदवार की घोषणा कर दी है, वहीं कांग्रेस ने अपना पत्ता नहीं खोला है। कुछ दिन पहले तक माना जा रहा था कि इस बार भी काली चरण मुंडा पर ही कांग्रेस अपना दांव खेलेगी। वर्ष 2019 के चुनाव में काली चरण मुंडा अर्जुन मुंडा से महज 1445 वोटों से हार गय थे। दो बार के विधायक रह चुके काली चरण मुंडा खूंटी के भाजपा विधायक और राज्य के पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा के सगे भाई हैं। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की उम्मीदवार रही दयामनी बारला ने कुछ दिन पहले ही कांग्रेस का दामन थामा है। खूंटी सहित अन्य क्षेत्रों में विस्थापन विरोधी नेता के रूप में पहचान बनाने वाली दयामनी बारला 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में अपनी जमानत तक नहीं बचा पाई थी।
क्यों मिला दावेदारी को बल:
दयामनी बारला को खूंटी संसदीय सीट से कांग्रेस का टिकट मिलने की अटकलों को उस समय बल मिला जब राहुल गांधी ने अपने खूंटी दौरे के क्रम में कांग्रेस के किसी स्थानीय नेता से न मिलकर गुमला जाने के दौरान रास्ते में सुदूर गांव भालूटोली में रुककर दयमनी बारला से आधे घंटे तक बातचीत की थी। हालांकि, खूंटी के कांग्रेस नेताओं ने राहुल गांधी के स्वागत की पुरजोर तैयारी की थी लेकिन राहुल से न काली चरण मुंडा मिल पाये और न ही कोई अन्य नेता। राजनीति के जानकार बताते हैं कि दयामनी बारला ईसाई समुदाय से आती हैं और आदिवासियों के बीच उनकी पकड़ अच्छी है। इसलिए टिकट को लेकर दयामनी बारला की उम्मीदवारी को कम कर नहीं आंका सकता।
झारखंड पार्टी भी उतारेगी प्रत्याशी:
खूंटी संसदीय सीट से झारखंड पार्टी भी अपना प्रत्याशी उतारेगी। इसकी घोषणा पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष और पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री एनोस एक्का पहले ही कर चुके हैं। इसके अलावा अन्य कई निर्दलीय उम्मीदवार भी भाग्य आजमायेंगे। इसके बावजूद इतना तय है कि आनेवाले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा में ही सीधी टक्कर होगी।