रांची। ‘झारखंड उलगुलान संघ’ और ‘आदिवासी बचाओ मोर्चा’ की ओर से 11 नंवबर को राजभवन के समक्ष एक दिवसीय महाधरना आयोजित किया जायेगा। झारखंड उलगुलान संघ और झारखंड बचाओ मोर्चा के पदाधिकारियों ने बुधवार को इसकी जनकारी दी।
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राजधानी रांची के करमटोली स्थित धुमकुड़िया भवन में आयोजित संवाददाता सम्मेलन के दौरान ‘झारखंड उलगुलान संघ’ के अध्यक्ष अलेयस्टर बोदरा और ‘झारखंड बचाओ मोर्चा’ के पदाधिकारी लक्ष्मीनारायण मुंडा, प्रेमशाही मुंडा, जॉन जुरसेन गुड़िया, मसीह दास गुड़िया ने संयुक्त रुप से कहा कि आदिवासियों के संवैधानिक प्रावधानों, विशेष कानूनी अधिकारों और न्यायिक निर्णयों को लेकर शासकीय उदासीनता के खिलाफ महाधरना का कार्यक्रम किया जाएगा। यह कार्यक्रम झारखंड उलगुलान संघ की अगुवाई में किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में आदिवासी बचाओ मोर्चा सहित विभिन्न आदिवासी संगठनों के पदाधिकारियों और सदस्यों की उपस्थिति रहेगी।
संघ और मार्चा के पदाधिकारियों ने कहा कि सीएनटी और एसपीटी एक्ट, विलकिंसन रुल्स, पेसा कानून और वनाधिकार कानून के क्रियान्वयन में राज्यपाल की ओर से अब तक कोई सार्थक पहल नहीं किया गया। यह आदिवासी समुदाय के साथ बहुत बड़ा अन्याय है। राज्य में जनजातिय सलाहकार परिषद (टीएसी) का एजेंडा भारतीय संविधान के तहत राज्यपाल को तय करना है, लेकिन टीएसी का एजेंडा राज्य सरकार तय कर रही है, इसलिए आदिवासी समुदाय के संवैधानिक विषयों और आदिवासी मुद्दों का समाधान सार्थक रुप से नहीं हो रहा है।
पदाधिकारियों ने कहा कि पेसा कानून का नियमावली आज तक नहीं बनाया गया है। इस पर भी राज्यपाल की ओर से हस्तक्षेप जिस तरीके से होना चाहिए, वह नहीं हुआ। भूमि बैंक नीति और भूमि पूल नीति भी आदिवासियों के सामुदायिक अधिकारों पर हमला है। राज्य में नगर निकायों ( नगर निगम,नगर पालिका, नगर पंचायत) का विस्तारीकरण करने की योजना भी आदिवासियों की जमीन लूटने का हथकंडा है।



