Chennai: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने रेपो रेट को 6.5 फीसदी से नहीं बदला है। रेपो रेट वह दर है जिस पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है। एमपीसी ने 4-6 अक्टूबर को हुई अपनी बैठक में वित्त वर्ष 2024 के लिए मुद्रास्फीति 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है और इसके फैसले की घोषणा आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास (RBI Governor Shaktikanta Das) ने शुक्रवार को की। दास ने कहा कि एमपीसी ने सर्वसम्मति से रेपो रेट 6.5 प्रतिशत पर रखने का फैसला किया और वित्त वर्ष 2024 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 6.5 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया। जहां तक मुद्रास्फीति का संबंध है, संभावित कृषि उपज सहित विभिन्न घरेलू मुद्दों को ध्यान में रखते हुए एमपीसी का पूर्वानुमान 2023-24 के लिए 5.4 प्रतिशत था।
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मुद्रास्फीति अनुमान के अनुसार, आरबीआई को वित्त वर्ष 2025 में भी ऊंची दर जारी रहने का अनुमान है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा पेश करते हुए कहा कि भारत दुनिया के लिये आर्थिक वृद्धि का इंजन बना हुआ है, लेकिन आत्मसंतुष्टि की गुंजाइश नहीं है। उन्होंने कहा : पूंजीगत वस्तुओं के उत्पादन से संकेत मिलता है कि प्राइवेट सेक्टर का निवेश बढ़ रहा है। मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने उदार रुख को वापस लेने का रुख बरकरार रखा है, एमपीसी महंगाई के हिसाब से जरूरत के अनुरूप कदम उठाने के लिए तैयार है। इससे पहले रिजर्व बैंक ने महंगाई पर लगाम लगाने के लिए मई 2022 से मार्च 2023 तक रेपो रेट में ढाई प्रतिशत का इजाफा किया था। मई 2022 से पहले तक रेपो रेट 4 प्रतिशत के स्तर पर चल रहा था।
यह लगातार चौथा मौका है जब आरबीआई (RBI) ने रेपो रेट की पुरानी दर को ही कायम रखा गया है। रेपो रेट में किसी तरह का बदलाव नहीं होने से ईएमआई पर भी किसी तरह का असर नहीं पड़ेगा। दूसरी तरफ आने वाले समय में बैंकों की तरफ से एफडी की ब्याज दर में कटौती की संभावना जताई जा रही है। रेपो रेट इस समय पिछले चार साल के रिकॉर्ड लेवल पर चल रहा है। रिजर्व बैंक ने महंगाई को काबू करने के लिए ब्याज दर बढ़ाने का सिलसिला शुरू किया था।