रांची। नीति आयोग ने देश के 112 अति पिछड़े आकांक्षी जिलों की ताजा डेल्टा रैंकिंग जारी की है। इसमें राज्य के रामगढ़ जिले को विकास के विभिन्न पैमानों पर देश का सबसे फिसड्डी जिला आंका गया है। रैंकिंग में दूसरे सबसे फिसड्डी जिले में लातेहार है। रामगढ़ को 112वीं रैंक मिली है, जबकि लातेहार को 111वां स्थान मिला है।
इसके पहले हुए सर्वे में रामगढ़ जिला टॉप रैंकिंग जिलों की सूची में 22वें और लातेहार 13वें स्थान पर था। इससे पता चलता है कि इन जिलों में विकास की योजनाओं के कार्यान्वयन की गति काफी धीमी है। इस संबंध में मिली जानकारी के अनुसार यह रैंकिंग जुलाई और अगस्त महीने में हुए सर्वे के आधार पर जारी की गयी है।
उल्लेखनीय है कि डेल्टा रैंकिंग में छह क्षेत्रों स्वास्थ्य और पोषण, कृषि और जल संसाधन, शिक्षा, वित्तीय समावेश, कौशल विकास और बुनियादी ढांचा विकास के क्षेत्र में होने वाले कार्य के आधार पर गणना की जाती है। आकांक्षी जिलों की रैंकिंग हर महीने जारी की जाती है। आकांक्षी जिला कार्यक्रम केंद्र सरकार ने जनवरी 2018 में शुरू किया था।
इस कार्यक्रम का उद्देश्य पिछड़े जिलों में विकास की योजनाओं को गति देने के लिए विशेष केंद्रीय सहायता प्रदान करना है। आयोग बेहतर प्रदर्शन करनेवाले जिलों को विकास कार्यों के लिए अतिरिक्त बजट आवंटित करता है। पूरे देश के 112 आकांक्षी जिलों में झारखंड के 19 जिले शामिल हैं। जारी डेल्टा रैंकिंग बताती है कि इनमें से नौ जिलों ने पिछले महीनों की तुलना में विकास के पैमानों पर बेहतर काम किया है, जबकि दस जिलों की रैंकिंग खराब हुई है। बेहतर करने वाले जिलों में रांची भी शामिल है, जिसने अपनी पुरानी रैंकिंग 106 से छलांग लगाकर इस बार 28वीं रैंक हासिल की है।
इसके अलावा गुमला (55), पाकुड़ (86), लोहरदगा (22), गोड्डा (42), पूर्वी सिंहभूम (59), खूंटी (58), पश्चिम सिंहभूम (12), सिमडेगा (65) ने अपनी पिछली रैंकिंग में सुधार दर्ज किया है। वहीं दूसरी ओर पलामू 75वें स्थान से नीचे गिरकर 104वें, गिरिडीह 36वें स्थान से नीचे गिरकर 87वें, चतरा सातवें स्थान से गिरकर 12वें, दुमका 61वें स्थान से गिरकर 76वें, साहिबगंज 27वें स्थान से गिरकर 99वें, हजारीबाग 42वें स्थान से गिरकर 61वें, बोकारो 55वें स्थान से गिरकर 61वें, गढ़वा छठे स्थान से गिरकर 77वें स्थान पर पहुंच गया है।
उल्लेखनीय है कि डेल्टा रैंकिंग में छह क्षेत्रों स्वास्थ्य और पोषण, कृषि और जल संसाधन, शिक्षा, वित्तीय समावेश, कौशल विकास और बुनियादी ढांचा विकास के क्षेत्र में होने वाले कार्य के आधार पर गणना की जाती है।