patna : विपक्षी दलों के गठबंधन को लेकर 23 जून को पटना में सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के घर पर हुई 15 दलों के नेताओं की बैठक के बाद अगले लोकसभा चुनाव में बीजेपी (bjp) की अगुवाई वाले एनडीए के मुकाबले मोर्चे के गठन की संभावना हकीकत में बदलती दिख रही है। इसी के साथ इस नए मोर्चे के नाम को लेकर भी अनुमान लगाए जा रहे थे।
बहुत से लोगों का मानना था कि इस बार भी इस गठबंधन का नाम यूपीए (UPA) यानी संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन होगा, लेकिन इस बार पुराने नाम से मोर्चा गठन की संभावना न के बराबर है। मोर्चे के लिए अभी जिस नाम की सर्वाधिक चर्चा है वो है पीडीए। पीडीए यानी पेट्रियोटिक डेमोक्रेटिक एलाइंस।
सीपीआई (cpi) ने बकायदा प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इसका ऐलान भी कर दिया है। हालांकि, नाम पर अंतिम मुहर अगले महीने शिमला में प्रस्तावित विपक्षी एकता की दूसरी बैठक में लगेगी।
दरअसल, 23 जून को ही यह साफ हो गया था कि विपक्ष के गठबंधन का जो भी नाम तय होगा उसमें लोकतंत्र और देशभक्ति की चर्चा जरूर होगी, क्योंकि विपक्ष का आरोप है कि पिछले नौ साल में बीजेपी की राजनीति अपनी, अपने नेता या सरकार के काम की आलोचना करने वालों को देशद्रोही करार देने की रही है।
विपक्ष का कहना है कि बीजेपी की अगुवाई वाली सरकार के रहते देश के लोकतंत्र पर खतरा मंडराता रहेगा। लिहाजा इसके खिलाफ सबको मिलकर लड़ना चाहिए और इस एकजुट हुए नए मोर्चे का नाम लोकतंत्र और देशद्रोह दोनों को लक्षित करते हुए होना चाहिए। लिहाजा, पीडीए यानी पेट्रियोटिक डेमोक्रेटिक एलाइंस नाम अभी तक सबसे उपयुक्त माना जा रहा है क्योंकि ये इन दोनों मसलों को समाहित करता है। पेट्रियोटिक यानी देशभक्ति और डेमोक्रेटिक यानी लोकतांत्रिक, पीडीए में ये दोनों बातें आ जा रही हैं।