Ranchi। बिहार (Bihar) से अलग होकर 15 नवंबर, 2000 को झारखंड (Jharkhand) अस्तित्व में आया। भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी (Babulal Marandi) झारखंड के पहले मुख्यमंत्री (Chief Minister) बनाए गए। धनवार विधानसभा सीट से विधायक बाबूलाल फिलहाल भाजपा विधायक दल के नेता हैं। ये अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं।
BREAKING : बाबूलाल मरांडी बने झारखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष
एकीकृत बिहार के समय से ही बाबूलाल मरांडी (Babulal Marandi) ने कुशल सांगठनिक दक्षता का परिचय दिया है। साल 1996 में दक्षिणी बिहार यानी वनांचल भाजपा का अध्यक्ष बनाया गया था। बाबूलाल मरांडी ने पार्टी को निराश नहीं किया और दक्षिणी बिहार की 14 लोकसभा सीटों में से 12 सीटों पर जीत दर्ज की थी। फिर 1999 में लोकसभा का चुनाव हुआ और भाजपा को 14 में से 11 सीटें मिली थीं। इसके बाद 1998 और 1999 के चुनाव में बाबूलाल मरांडी ने दिशोम गुरु शिबू सोरेन की दुमका सीट पर विजय रथ को लगातार दो बार रोक कर सुर्खियां बटोरी थीं। वर्ष 2000 में बिहार से झारखंड अलग राज्य बना।
बाबूलाल मरांडी (Babulal Marandi) की सांगठनिक दक्षता का ही प्रतिफल था कि अलग राज्य बनने के बाद जब कड़िया मुंडा को मुख्यमंत्री बनाने की बात चल रही थी तो पार्टी ने युवा बाबूलाल मरांडी (Babulal Marandi) पर भरोसा किया और राज्य की बागडोर उनके हाथों में दी। फिर 2004 में लोकसभा का चुनाव हुआ। भाजपा को इस चुनाव में बुरी तरह से पराजय मिली लेकिन यहां भी बाबूलाल मरांडी (Babulal Marandi) ने पार्टी की लाज बचाई और सामान्य सीट कोडरमा से जीत दर्ज की। इस चुनाव में भाजपा को मात्र एक सीट झारखंड में मिली थी।
वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद बाबूलाल मरांडी (Babulal Marandi) ने अपनी पार्टी झाविमो का भाजपा में विलय कर दिया। बाबूलाल मरांडी के कद का लाभ लेने के लिए भाजपा ने उन्हें विधानसभा में विधायक दल का नेता बनाया लेकिन पूर्व विधायक राजकुमार यादव, विधायक प्रदीप यादव, दीपिका पाण्डेय सिंह ने इनके खिलाफ स्पीकर की कोर्ट में दलबदल का मामला दायर किया। अभी इस पर स्पीकर के न्यायाधिकरण का फैसला नहीं आया है। मामला न्यायाधिकरण में है। इसलिए इन्हें अबतक विधायक दल के नेता का दर्जा नहीं मिला है।
भाजपा ने और इंतजार नहीं करते हुए झारखंड भाजपा की जिम्मेदारी बाबूलाल मरांडी को दे दी है। अब जब पूरा देश 2024 के आम चुनाव को लेकर संजीदा है, ऐसे में भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने बाबूलाल मरांडी (Babulal Marandi) पर बड़ा दांव खेला है।
पारिवारिक पृष्ठभूमि
बाबूलाल मरांडी (Babulal Marandi) का जन्म 11 जनवरी, 1958 को गिरिडीह जिले के कोदाईबांक गांव में छोटे लाल मरांडी और मीना मुर्मू के घर हुआ। गिरिडीह (Giridih) कॉलेज से उन्होंने ग्रेजुएशन की डिग्री ली। उन्होंने एक साल तक प्राथमिक शिक्षक के रूप में काम किया। इसके बाद वो आरएसएस से जुड़े। साल 1983 में उन्हें संथाल परगना के विश्व हिंदू परिषद के संगठन मंत्री की जिम्मेदारी मिली। साल 1991 में बाबूलाल भाजपा में शामिल हुए।
लोकसभा चुनाव 1991 में उन्होंने दुमका सीट से चुनाव लड़ा लेकिन वो हार गये। 1996 लोकसभा चुनाव में वो फिर दुमका सीट से उम्मीदवार बने। इस बार वो महज पांच हजार वोट से दोबारा हारे। साल 1996 में भाजपा ने उन्हें वनांचल क्षेत्र का अध्यक्ष बनाया। इसके बाद साल 1998 में उन्होंने दुमका सीट पर जीत दर्ज की।1999 में वो फिर जीतकर सांसद बने। अटल सरकार में बाबूलाल मरांडी वन पर्यावरण राज्यमंत्री बने। साल 2000 में वो झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बने। 2003 में उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
2004 में वह कोडरमा (Koderma) सीट से चुनाव लड़े और जीते। 2006 में भाजपा छोड़ कर नयी पार्टी झारखंड विकास मोर्चा का गठन किया। 2006 में कोडरमा (Koderma) सीट पर हुए उपचुनाव वो निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लड़े और जीत हासिल की। 2009 में कोडरमा (Koderma) सीट से बतौर जेवीएम उम्मीदवार लड़े और जीत हासिल की। 2014 में उन्होंने दुमका सीट से चुनाव लड़ा लेकिन हार गए। 2014 विधानसभा चुनाव में भी उन्हें हार मिली।
2019 के लोकसभा चुनाव में कोडरमा (Koderma) से चुनाव लड़ा और हार गए। 2019 के विधानसभा चुनाव में बाबूलाल मरांडी की पार्टी जेवीएम ने अकले चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में उन्हें सिर्फ तीन सीटों पर ही जीत मिली। इसके बाद उन्होंने एक बार फिर से भाजपा में जाने का फैसला किया और पार्टी ने तीन विधायकों में से दो बंधु तिर्की और प्रदीप यादव को निलंबित कर दिया और पार्टी का विलय भाजपा (BJP) में कर दिया।