पटना। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 18 जुलाई यानी शुक्रवार को बिहार के पूर्वी चंपारण जिला मुख्यालय मोतिहारी में एक जनसभा को सम्बोधित करेंगे। बिहार सरकार से प्राप्त जानकारी के अनुसार जनसभा के दौरान पीएम मोदी सड़क, रेलवे, इलेक्ट्रॉनिक्स और ग्रामीण कल्याण सहित प्रमुख क्षेत्रों में करीब 7,196 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं का अनावरण और शिलान्यास करेंगे।
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विकास परियोजनाओं में से 5,398 करोड़ रुपये रेलवे परियोजनाओं के लिए जाएगा, जबकि 1,173 करोड़ रुपये सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के तहत बुनियादी ढांचे के लिए निर्धारित हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय 63 करोड़ रुपये की परियोजनाओं में योगदान देगा। इसके अलावा, प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) के तहत 40,000 लाभार्थियों के खातों में सीधे 162 करोड़ रुपये हस्तांतरित किए जाएंगे। इसी योजना के तहत लगभग 12,000 लाभार्थियों को गृह प्रवेश मिलेगा। इसके अलावा, ग्रामीण आजीविका को मज़बूत करने के उद्देश्य से 61,500 स्वयं सहायता समूहों को 400 करोड़ रुपये जारी किए जाने हैं।
अक्टूबर-नवम्बर में होने वाले राज्य विधानसभा चुनावों के साथ, बिहार में राजनीतिक हलचल तेज़ हो गई है। प्रधानमंत्री का यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब विपक्षी दलों की सक्रियता बढ़ रही है, जिसमें विपक्ष के नेता राहुल गांधी के कई दौरे भी शामिल हैं। प्रधानमंत्री मोदी का पिछला बिहार दौरा 20 जून को हुआ था, जब उन्होंने सीवान जिले के जसोली में एक जनसभा को संबोधित किया था। इससे पहले उन्होंने 29 मई को पटना में एक रोड शो और 30 मई को शाहाबाद में एक रैली की थी।
चंपारण 21 सीटों पर दांव
पूर्वी चंपारण स्थित मोतिहारी की लड़ाई भाजपा के लिए महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री मोदी के दौरे से पूर्वी और पश्चिमी चंपारण, दोनों ज़िलों के मतदाताओं पर असर पड़ने की उम्मीद है, जहां कुल मिलाकर 21 विधानसभा सीटें हैं। 2020 के विधानसभा चुनावों में, राजग ने इन 21 में से 17 सीटें जीतकर अपना दबदबा बनाया था।
पूर्वी चंपारण (12 सीटें)
वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में पूर्वी चंपारण में राजग ने 9 सीटें (8 भाजपा, 1 जदयू) जीती थीं, जबकि राजद ने महागठबंधन के लिए तीन सीटें हासिल की थीं। राजग की नज़र कल्याणपुर, सुगौली और नरकटिया सीटों पर फिर से कब्ज़ा करने पर है, जो उसने पहले खो दी थीं।
पश्चिमी चंपारण (9 सीटें)
राजग ने यहां 2020 के विधानसभा चुनाव में 8 सीटों पर कब्जा जमाया था। (7 भाजपा, 1 जदयू), जबकि भाकपा (माले) ने पिछली बार एक सीट जीती थी। भाजपा अपने इस गढ़ चंपारण में अपनी मज़बूत पकड़ बनाना चाहती है। प्रधानमंत्री के दौरे का उद्देश्य इस आधार को और मज़बूत करना और विपक्ष के किसी भी तर्क का जवाब देना है।
नीतीश फ़ैक्टर: 2015 और 2020बिहार की राजनीति को बहुत करीब से जानने वाले वरिष्ठ पत्रकार लव कुमार मिश्र ने बातचीत में कहा कि बिहार में राजनीतिक समीकरण ऐतिहासिक रूप से अनिश्चित रहे हैं, खासकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गठबंधनों के संदर्भ में। यह यात्रा पुनर्गठित राजग के लाभों को भी उजागर करेगी। उन्होंने कहा कि वर्ष 2015 में नीतीश राजग के साथ नहीं थे। पूर्वी चंपारण में, राजग गठबंधन ने 12 में से केवल पांच सीटें जीतीं, जबकि महागठबंधन ने सात सीटें जीतीं। भाजपा का वोट शेयर 23.5 प्रतिशत था। अगर बात 2020 के विधानसभा चुनाव की करें तो नीतीश कुमार एनडीए के साथ थे। पूर्वी चंपारण में गठबंधन की सीटों की संख्या बढ़कर नौ हो गई। पूरे राज्य में, भाजपा का वोट शेयर 25.8 प्रतिशत और जदयू का 20.1 प्रतिशत हो गया। राजग की रणनीति सीटों में अधिकतम वृद्धि हासिल करने की है, जिसका लक्ष्य इस साल पूर्वी चंपारण की सभी 12 सीटों पर क्लीन स्वीप करना है।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री का 2014 में पदभार ग्रहण करने के बाद से बिहार की यह 53वीं यात्रा होगी।