चंडीगढ़। विद्यार्थियों को अपने जीवन में बुलंदियों पर पहुंचने और अपने सपनों को उड़ान देते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने बुधवार को अमृतसर में राज्य का पहले ‘स्कूल ऑफ एमिनेंस’ पंजाब निवासियों को समर्पित किया। दोनों मुख्यमंत्रियों ने कहा, ‘पंजाब में आज शिक्षा के क्षेत्र में नयी क्रांति का आग़ाज़ हो चुका है और यह स्कूल निश्चित रूप से मील पत्थर साबित होंगे।’
इस मौके पर दोनों मुख्यमंत्रियों ने कहा कि आज का दिन एक यादगार का अवसर है और वह दिन दूर नहीं, जब शिक्षा के क्षेत्र में पंजाब, देश का अग्रणी राज्य होगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के इस प्रयास से विद्यार्थियों ख़ास तौर पर गरीब और पिछड़े वर्गों के विद्यार्थियों को मानक शिक्षा मुहैया करवाई जायेगी। उन्होंने कहा कि जल्द ही इन स्कूलों से तालीम हासिल करने वाले विद्यार्थी हरेक क्षेत्र में बड़ी उपलब्धियाँ हासिल करेंगे और राज्य का नाम रोशन करेंगे।
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दोनों मुख्यमंत्रियों ने कहा कि यह स्कूल हमारे विद्यार्थियों की तकदीर बदल देंगे। उन्होंने कहा कि यह तो अभी शुरुआत है और गरीब विद्यार्थियों के कल्याण के लिए ऐसे और स्कूल खोले जाएंगे। उन्होंने उम्मीद ज़ाहिर की कि यह स्कूल ‘आधुनिक युग के मंदिर’ होंगे, जो विद्यार्थियों के जीवन में गुणात्मक बदलाव लाएंगे।
इस दौरान दोनों मुख्यमंत्रियों ने स्कूलों के क्लास रूम्स का दौरा करके विद्यार्थियों के साथ बातचीत भी की। सरकार के इस बेहतरीन कदम के लिए दोनों मुख्यमंत्रियों का तहे दिल से धन्यवाद करते हुए 11वीं कक्षा की छात्रा दीक्षा ने कहा कि इससे पहले वह प्राईवेट स्कूल में पढ़ती थी। उस छात्रा ने कहा कि इस स्कूल में मौजूद सुविधाएं इन प्राईवेट स्कूलों में भी मौजूद नहीं हैं। उसने इस स्कूल की स्थापना के लिए भगवंत सिंह मान और अरविन्द केजरीवाल का धन्यवाद किया।
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एक अन्य छात्रा किरनदीप कौर जिसने परीक्षा पास करने के बाद इस स्कूल में दाखि़ला लिया, ने कहा कि वह सरहदी इलाके के एक गाँव की निवासी है और उसकी इच्छा डॉक्टर बनने की है। उन्होंने कहा कि कुछ साल पहले इस इच्छा का पूरा हो जाना कठिन लगता था, परन्तु अब उसे विश्वास हो चुका है कि इस स्कूल के स्वरूप उसका सपना जल्द ही साकार होगा। उन्होंने इस नेक प्रयास के लिए दोनों मुख्यमंत्रियों का धन्यवाद किया, जो नौजवान पीढ़ी का भविष्य सुरक्षित करेंगे।
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एक अन्य अध्यापक रीना मेहता ने भी इस ऐतिहासिक पहल के लिए मुख्यमंत्रियों की सराहना की। उसने बताया कि यह देखकर ख़ुशी हो रही है कि विद्यार्थी मुफ़्त में मानक शिक्षा हासिल कर रहे हैं। प्राईमरी अध्यापक चंदा ने बताया कि अगर एक दशक पहले ऐसे स्कूल खुले होते तो अब तक राज्य का नक्शा बदल चुका होना था। उसने बताया कि उसका बच्चा प्राईवेट स्कूल में पढ़ता था परन्तु अब उसे परीक्षा के बाद में इस स्कूल में दाखि़ला मिल गया है। उसने आने वाली पीढिय़ों का भविष्य संवारने के उद्देश्य से की इस बेमिसाल पहल के लिए दोनों मुख्यमंत्रियों की तारीफ़ की।