नई दिल्ली : ट्रेन यात्रा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ट्रेन की यात्रा करते समय यदि यात्री का पैसा चोरी हो जाता है तो इसे रेलवे की सेवाओं में कमी के तौर पर नहीं माना जा सकता है। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की खंडपीठ ने उपभोक्ता फोरम द्वारा पारित आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें रेलवे को यात्री को चोरी की गई नकदी का भुगतान करने का निर्देश दिया गया था। कोर्ट ने कहा कि अगर किसी यात्री का पैसा, जेवरात या सामान ट्रेन से चोरी हो जाता है तो इसे रेलवे की सेवा में दोष नहीं माना जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने जिला, राज्य और राष्ट्रीय उपभोक्ता फोरम के फैसले को खारिज कर दिया है। जिसमें रेलवे को एक लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया गया था। दरअसल, पूरा मामला अप्रैल 2005 का है। एक कारोबारी ट्रेन में यात्रा कर रहे थे। इस दौरान उनका एक लाख रुपये चोरी हो गए थे। उपभोक्ता फोरम के एकमत से दिए फैसले को रेलवे ने चुनौती दी। इस पर शीर्ष कोर्ट ने अपना फैसला दिया है। खंडपीठ ने कहा कि हम यह समझ नहीं पा रहे है कि चोरी को किसी भी तरह से रेलवे द्वारा सेवा में कमी कैसे कहा जा सकता है। यदि यात्री अपने सामान की सुरक्षा करने में सक्षम नहीं है, तो रेलवे को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। अब सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे को क्लीन चिट दे दी है। खंडपीठ ने कहा कि यात्री के निजी सामान की चोरी रेलवे द्वारा सेवा की कमी के दायरे में नहीं आती है। यात्री ने जिला उपभोक्ता फोरम के समक्ष रेलवे से चोरी की गई राशि की प्रतिपूर्ति की मांग करते हुए दावा दायर किया। यह तर्क दिया गया था कि पैसे की चोरी रेलवे द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवा में कमी के कारण हुई थी। कोर्ट ने कहा कि यदि यात्री अपने सामान की सुरक्षा करने में सक्षम नहीं है, तो रेलवे को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।