रांची। जगन्नाथपुर मंदिर में रथयात्रा पर्व के दौरान शुक्रवार को दिनभर विशेष पूजा-अनुष्ठान का आयोजन हुआ। भोर में चार बजे मंगल आरती से वैधानिक कार्यक्रम शुरू होकर रात आठ बजे श्री विग्रहों के श्यनम से पूरा हुआ। इस बीच भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र की मौसीबाड़ी यात्रा को लेकर पूरे मंदिर परिसर में भक्तिमय माहौल बना रहा। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के बीच वैदिक विधि-विधान से भगवान की पूजा हुई।

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जगन्नाथपुर मंदिर के मुख्य पुजारी रामेश्वर पाडी ने कहा कि सुबह चार बजे मंगला आरती, इसके बाद भगवान को पंचामृत स्नान कराया गया। पांच बजे श्री विग्रहों का दर्शन सुलभ हुआ। इसके साथ ही दोपहर दो बजे तक भोग, हवन, कीर्तन और आरती जैसे धार्मिक अनुष्ठानों की प्रक्रिया जारी रही। दोपहर दो बजे श्रद्धालुओं के लिए दर्शन बंद हुआ। सभी श्री विग्रहों को मुख्य मंदिर से रथ के लिए क्रमशः श्री सुदर्शनचक्र गरुड़जी, लक्ष्मी नरसिंह, बलभद्र स्वामी, सुभद्रा माता, श्री जगन्नाथ स्वामी को रथ के लिए प्रस्थान कराया गया। दोपहर 2.30 बजे तक सभी विग्रहों का रथ के ऊपर स्थापित किया गया।
इसके बाद दोपहर 2.30 से 3.00 बजे तक विग्रहों का श्रृंगार, दोपहर 3.00 बजे से शाम 4.30 बजे तक भक्तों ने रथ के पास श्री लक्षर्चना, शाम 4.30 बजे अर्चित पुष्प को जगन्नाथ स्वामी के चरणों पर समर्पित कर आरती जगन्नाथषकम गीता पाठ किया गया। इसके उपरांत विशेष उत्तरदायी व्यक्तित्वों ने रथ का रस्सी बंधन प्रारंभ कर, रथ को धकेलना का कार्यक्रम शुरू हुआ। धीरे–धीरे रथ चलाई गई और शाम छह बजे रथ मौसी बाड़ी पहुंचाई गई। शाम 6.00 बजे से 6.45 बजे तक रथ के ऊपर साड़ी पहनी विशेष महिलाओं का दर्शन हुआ। शाम 6.46 से 7.00 बजे सभी श्री विग्रहों का रथ से उतारकर मौसीबाड़ी मंदिर में प्रवेश कराया गया। रात आठ बजे वैधानिक तरीके से 108 मंगल आरती के बाद भगवान का श्यनम प्रक्रिया पूरी हुई।
मुख्य पुजारी ने बताया कि मंदिर में प्रति वर्ष की तरह इस बार भी पारंपरिक रीति-रिवाजों के अनुसार सभी पूजा संपन्न कराई गई। महाभोग में 56 प्रकार के व्यंजन भगवान को अर्पित किए गए, जिनमें चावल, दाल, सब्ज़ी, खीर, लड्डू और फल सहित अन्य चीजें शामिल थीं।


