लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को गीता प्रेरणा उत्सव को संबोधित करते हुए कहा कि श्रीमदभगवदगीता 140 करोड़ भारतवासियों के लिए दिव्य मंत्र है। यह जीवन में सफलता का मार्ग प्रशस्त करने के साथ ही जीवन जीने की कला का मार्ग है। हर व्यक्ति को इसे अपने जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने जनेश्वर मिश्र पार्क में आयोजित कार्यक्रम में कहा कि गीता के 18 अध्यायों के 700 श्लोक को भारत का हर सनातन धर्मावलंबी जीवन का मंत्र मानकर आदर भाव के साथ आत्मसात करने का प्रयास करता है। श्रीमद्भगवदगीता नई प्रेरणा देती दिखाई देती है। श्रीमद्भगवदगीता धर्म से ही शुरू होती है और अंत में भी उसी मर्म के साथ विराम लेती है। श्रीमद्भगवदगीता धर्म की वास्तविक प्रेरणा है। भारत की मनीषा ने धर्म को कर्तव्य के साथ जोड़कर देखा है। हमने धर्म को उपासना विधि मात्र नहीं माना है। उपासना विधि उसका छोटा सा भाग है। हर व्यक्ति अपने पंथ, संप्रदाय, उपासना विधि के अनुरूप आस्था को तय कर लेता है, लेकिन मुख्य रूप से धर्म हमारे यहां जीवन जीने की कला है। हमने इसे ही ‘वे ऑफ लाइफ’ के रूप में कहा है।
मुख्यमंत्री स्वामी ज्ञानानंद का अभिनंदन करते हुए कहा कि उन्होंने जिओ गीता को जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में इसे बहुत छोटे-छोटे उदाहरण के माध्यम से प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। श्रमिक, किसान, महिला, छात्र, नौजवान, नौकरीपेशा, चिकित्सक, अधिवक्ता, व्यापारी, योद्धा, सैनिक के लिए गीता की प्रेरणा क्या है, उन्होंने इसे जिओ गीता के माध्यम से प्रस्तुत किया है। उनकी छोटी-छोटी पुस्तकें अत्यंत प्रेरणादाई होती हैं।
सीएम योगी ने कहा कि श्रीमद्भगवदगीता भगवान की दिव्य वाणी है। सीएम ने श्लोक ‘धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः’ को सुनाया। उन्होंने कहा कि दुनिया में कहीं भी ऐसा नहीं होता होगा, जहां युद्ध का मैदान धर्म क्षेत्र के रूप में जाना जाता हो, लेकिन हमने हर कर्तव्य को पवित्र भाव के साथ माना है। अच्छा करेंगे तो पुण्य और गलत करेंगे तो पाप के भागीदार बनेंगे। यह मानकर हर सनातन धर्मावलंबी अच्छा करने का प्रयास करता है। भारत ने विश्व मानवता को प्राचीन काल से ही संदेश दिया है। हमने कभी नहीं कहा है कि जो मैं कह रहा हूं, वही सब कुछ है या हमारी उपासना विधि सर्वश्रेष्ठ है। सब कुछ होते हुए भी हमने कभी श्रेष्ठता का डंका नहीं पीटा। जो भी आया, उसे शरण दिया। जिसके ऊपर भी विपत्ति और चुनौती आई, सनातन धर्मावलंबी उसके सहयोग के लिए खड़ा हो गया।
आरएसएस ने सेवा के साथ सौदेबाजी नहीं कीसीएम योगी ने कहा कि राष्ट्र प्रथम के भाव के साथ हर पीड़ित संग खड़ा होना (जो भारत को परम वैभव तक ले जाने में सहायक हो सकता है) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रेरणा है। आरएसएस ने पिछले 100 वर्षों में सेवा के साथ कोई सौदेबाजी नहीं की, लेकिन कुछ लोगों ने दुनिया व भारत में सेवा को ही सौदे के माध्यम बनाया है। वे लोभ, लालच और दबाव से भारत की डेमोग्राफी को बदलने के लिए छल व छद्म का सहारा लेकर अपना ताना-बाना बदलकर भारत की आत्मा पर प्रहार करने का प्रयास कर रहे हैं। इन स्थितियों में भगवान की वाणी श्रीमद्भगवदगीता नई प्रेरणा बन सकती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि दुनिया से आए अंबेसडर, हाई कमिश्नर्स हमसे पूछते हैं कि आप लोगों का आरएसएस से जुड़ाव है, तब हम कहते हैं कि हां! हमने स्वयंसेवक के रूप में कार्य किया है। वे इसकी फंडिंग का पैटर्न पूछते हैं, तब हम बताते हैं कि यहां ओपेक के देश या इंटरनेशनल चर्च पैसा नहीं देता। यहां संगठन समाज के सहयोग से खड़ा हो रहा है और समाज के लिए हर क्षेत्र में समर्पित भाव से कार्य करता है। किसी भी पीड़ित की जाति, मत-मजहब, क्षेत्र, भाषा की परवाह किए बिना हर स्वयंसेवक उसकी सेवा को ही अपना कर्तव्य मानता है।










