जयपुर। लंबे इंतजार के बाद राजस्थान में शनिवार को भजनलाल सरकार के मंत्रिमंडल का गठन हो गया। राज्यपाल कलराज मिश्र ने शनिवार को 22 विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई। मंत्रिमंडल में 12 कैबिनेट, पांच राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और पांच राज्य मंत्रियों को शपथ दिलवाई गई। पन्द्रह दिसंबर को भजनलाल शर्मा ने बतौर मुख्यमंत्री शपथ ली थी।
किरोड़ीलाल मीणा : विपक्ष में रहते सबसे मुखर रहे, एसटी का मुखर चेहरा
राज्यसभा सांसद रहते हुए राजस्थान में कांग्रेस राज के दौरान सबसे मुखर रहे। पेपर लीक से लेकर हर मुद्दे पर सड़क पर आंदोलन किए, संसद से लेकर हर मोर्चे पर घेरा। एसटी समुदाय के मुखर चेहरे के तौर पर उनकी पहचान है। बेबाकी से बोलने और मुद्दे उठाने के लिए जाने जाते हैं। संघ से जुड़े रहे हैं, इमरजेंसी के दौरान जेल गए। पूर्वी राजस्थान के सियासी समीकरण साधे गए हैं।
गजेंद्र सिंह खींवसर : राजे खेमे के सिंह को कैबिनेट मंत्री बनाकर एकजुटता का मैसेज
गजेंद्र सिंह खींवसर वसुंधरा राजे की दोनों सरकारों में मंत्री रहे। पिछली वसुंधरा सरकार में वे कैबिनेट मंत्री थे, उन्हें दूसरी बार कैबिनेट मंत्री बनाया है। गजेंद्र खींवसर को वसुंधरा राजे का नजदीकी माना जाता है। मारवाड़ के सियासी समीकरणों को साधने के अलावा उन्हें मंत्री बनाकर पार्टी के अंदरूनी समीकरणों को भी साधा गया है। इससे एकजुटता का मैसेज दिया गया है। खींवसर की छवि पार्टी के सौम्य राजपूत चेहरे के तौर पर रही है। दो बार मंत्री रहने के कारण प्रशासनिक अनुभव है।
राज्यवर्धन सिंह राठौड़ : राजपूत वर्ग से एक उभरते चेहरे को महत्व देने का मैसेज
राज्यवर्धन सिंह राठौड़ केंद्र में मंत्री रहे हैं। दो बार सांसद रहे। पहली बार विधायक बने और कैबिनेट मंत्री बनाकर दो मैसेज दिए गए हैं। पूर्व फौजी अफसर और ओलंपिक चैंपियन को कैबिनेट मंत्री बनाकर और जातीय समीकरणों के हिसाब से भी राजपूत वर्ग से एक उभरते चेहरे को महत्व देने का मैसेज दिया है। उन्हें हाईकमान का नजदीकी माना जाता है। राजधानी से वे चौथे नेता हैं जो कैबिनेट में हैं। सीएम भजनलाल, डिप्टी सीएम दिया कुमारी, प्रेमचंद बैरवा के बाद वे चौथे चेहरे हैं जो जयपुर से हैं।
बाबूलाल खराड़ी : कच्चे घर में रहने वाले खराड़ी को मंत्री बनाकर नया मैसेज
झाड़ोल से विधायक बाबूलाल खराड़ी को मंत्री बनाकर आदिवासी इलाके के लोगों को एक मैसेज दिया गया है कि उनके जैसे ही आम आदमी को मंत्री बनाया है। खराड़ी अब भी कच्चे घर में रहते हैं। पिछली बार उन्हें राजस्थान विधानसभा का सर्वश्रेष्ठ विधायक चुना गया था। उनकी गिनती आदिवासी इलाके के जागरूक और ग्रासरूट से जुड़े नेता के तौर पर होती है।
मदन दिलावर : मुखर दलित हिंदुवादी चेहरा, आरएसएस की पसंद
मदन दिलावर की गिनती भाजपा में मुखर हिंदुवादी चेहरे की रही है। बेबाक और उग्र रूप से बोलने के लिए जाने जाते हैं। पार्टी का प्रमुख दलित चेहरा है। भैराेसिंह शेखावत सरकार और वसुंधरा राजे सरकार में मंत्री रह चुके हैं। विधानसभा में विपक्ष में रहते हुए काफी मुखर रहते आए हैं। आरएसएस से जुड़े रहे हैं और दूसरे हिंदुवादी संगठनों में भी लगातार सक्रिय रहे हैं। दिलावर पार्टी के प्रमुख दलित चेहरे हैं, हाड़ौती के सियासी समीकरण साधे गए हैं। मदन दिलावर छ्ठीं बार के विधायक है। 1990 से 2008 तक बारां की अटरू सीट से चार बार लगातार विधायक रहे है।
जोगाराम पटेल : पटेल वोट बैंक को साधने का प्रयास
मारवाड़ में पटेल समाज के मुखर और पढ़े लिखे चेहरे के तौर पर मौका दिया गया है। आंजना, पटेल भाजपा का वोट बैंक माना जाता है। हाईकोर्ट में वरिष्ठ वकील रहे हैं। मारवाड़ में पार्टी के वोट बैंक और ओबीसी वर्गों को प्रतिनिधित्व देने का मैसेज है। पटेल वसुंधरा राजे सरकार के समय संसदीय सचिव रहे हैं। उन्हें संसदीय मामलों का अच्छा जानकार माना जाता है।
सुरेंद्र पाल टीटी : पहली बार चलते चुनाव में किसी को मंत्री बनाया
चलते चुनाव में किसी उम्मीदवार को मंत्री बनाकर देश में नया उदाहरण पेश किया गया है। श्रीकरणपुर सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार गुरमीत कुन्नर के निधन के बाद वहां चुनाव रद्द हो गया था। इस सीट पर पांच जनवरी को वोटिंग है। सुरेंद्र पाल सिंह टीटी श्रीकरणपुर से बीजेपी के उम्मीदवार है और अब राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार बन गए हैं। चलते चुनाव के दौरान किसी को मंत्री बनाए जाने का पहला मामला है।
संजय शर्मा : मुख्यमंत्री भजनलाल के साथ जिलाध्यक्ष रहे संजय शर्मा
अलवर शहर से लगातार दूसरी बार विधायक बने संजय शर्मा मंत्री बने हैं। उन्होंने स्वतंत्र मंत्री के रूप में शपथ ली है। अलवर शहर से पहली बार भाजपा का कोई नेता मंत्री बना है। शर्मा तीन बार भाजपा के जिलाध्यक्ष रहे हैं। एक बार युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष रहे। पार्टी के प्रदेश मंत्री रहे। अनेक जिलों के प्रभारी रहे। वे मुख्यमंत्री भजनलाल के साथ जिलाध्यक्ष रह चुके हैं। संजय शर्मा 2003, 2008 में भाजपा के जिलाध्यक्ष रहे। वहीं 2019 में भी करीब 7 दिन पार्टी के जिलाध्यक्ष बनाए गए थे। संजय शर्मा दूसरी बार विधायक बने हैं। पहली बार 2018 में उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी श्वेता सैनी को हराया था। दूसरी बार में कांग्रेस नेता अजय अग्रवाल को हराया है।
सुमित गोदारा : चतुष्कोणीय मुकाबले में लूणकरनसर से जीतकर आए
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के मंत्रिमंडल में बीकानेर से अकेले सुमित गोदारा को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। सुमित ने लूणकरनसर के चतुष्कोणीय मुकाबले में भाजपा के लिए ये सीट निकाली। गोदारा लूणकरनसर से लगातार दूसरी बार विधायक बने हैं। इससे पहले पिछले चुनाव में उन्होंने तत्कालीन गृह राज्यमंत्री वीरेंद्र बेनीवाल को हराया था। तब से वो चर्चा में थे लेकिन भाजपा की सरकार नहीं बन पाई। इसके बाद सुमित ने पांच साल तक लूणकरनसर में जमकर मेहनत की। इसी कारण उन्होंने दूसरी बार भी जीत हासिल कर ली। सुमित ने कांग्रेस के डॉ. राजेंद्र मूंड को हराया। सुमित गोदारा पूर्व में दवाओं के कारोबार से जुड़े रहे हैं। उन्होंने वर्ष 2010 के बाद सक्रिय राजनीति में हिस्सा लेना शुरू किया। वो पहला चुनाव निर्दलीय मानिक चंद सुराना से हार गए थे लेकिन बाद में उन्होंने वीरेंद्र बेनीवाल को हराया और इस बार वीरेंद्र बेनीवाल के साथ कांग्रेस उम्मीदवार डॉ. राजेंद्र मूंड को भी हरा दिया।
हीरालाल नागर : विरासत में मिली राजनीति
हीरालाल नागर दूसरी बार विधायक बने है। इससे पहले साल 2013 से 18 तक सांगोद से विधायक रहे। साल 2018 में हीरालाल चुनाव हार गए थे। साल 2023 में भाजपा ने फिर से उन पर भरोसा जताया। नागर ओबीसी वर्ग से आते है। उनके पिता चंदालाल नागर 10 साल तक नगर पालिका अटरू जिला बारां के चेयरमैन रहे। चाचा चतुर्भुज वर्मा 1977 से 84 तक झालावाड़ से सांसद रहे। फिर 1989 से 92 तक खानपुर सीट (झालावाड़) से विधायक रहते हुए सहकारिता मंत्री रहे। बहनोई नरेंद्र नागर खानपुर से विधायक रहे है। साल 2023 के चुनाव हार गए। साल 1978 से 80 में दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद दक्षिण दिल्ली विभाग प्रमुख की जिम्मेदारी निभाई।
झाबर सिंह खर्रा : सादगीपूर्ण लाइफस्टाइल के चर्चे
सीकर जिले की श्रीमाधोपुर विधानसभा से विधायक झाबरसिंह खर्रा को राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया गया है। खर्रा ने 14459 वोटों से जीत हासिल की है। उन्होंने कांग्रेस पार्टी के दीपेंद्र सिंह शेखावत को 14459 वोटों से हराया था। इससे पहले झाबर सिंह खर्रा 2013 में पहली बार विधायक बने थे। इसके पहले इनके पिता हरलाल सिंह पांच बार विधायक और एक बार पंचायतीराज विभाग के मंत्री रह चुके थे। 2018 में झाबर सिंह खर्रा कांग्रेस के दीपेंद्र सिंह के सामने 11810 वोटों से चुनाव हार गए थे। लेकिन हार के बाद भी लगातार ग्राउंड में सक्रिय रहे। झाबर सिंह खर्रा ग्रेजुएट है। जो पूर्व जिला अध्यक्ष और पंचायत समिति के प्रधान के पद पर भी रह चुके हैं। इसके अलावा जिला परिषद के सदस्य भी रहे हैं। इलाके में इनके सादगीपूर्ण लाइफस्टाइल के चर्चे रहते हैं।
सुरेश सिंह रावत : कोर वोट बैंक को मैसेज
अजमेर, राजसमंद के मगरा क्षेत्र में रावत समाज भाजपा का परंपरागत वोटर रहा है। इस समाज से मंत्री बनाकर कोर वोट बैंक को साधने का प्रयास किया है। सुरेश सिंह रावत वसुंधरा सरकार में ससंदीय सचिव रह चुके हैं, पहली बार मंत्री बने हैं।
अविनाश गहलोत : बीजेपी के गढ़ में मूल वोटर्स को साधा
अविनाश गहलोत सैनी समाज से पार्टी का प्रमुख चेहरा है। पाली जिला भाजपा का गढ़ माना जाता है। सैनी समाज भाजपा का परंपरागत वोटर माना जाता है। क्षेत्रीय और जातीय समीकरण साधे गए हैं। पहली बार मंत्री बनाकर मैसेज दिया है।
जोराराम कुमावत : कुमावत समाज को मैसेज
कुमावत समाज परंपरागत रूप से भाजपा का वोटर रहा है। वसुंधरा राजे सरकार में कुमावत समाज से एक मंत्री रहा है। इस बार भी कुमावत समाज से जोराराम कुमावत को कैबिनेट मंत्री बनाकर मैसेज दिया गया है। पाली के सुमेरपुर से दूसरी बार के विधायक कुमावत संघ से जुड़े रहे है।
हेमंत मीणा : आदिवासी बेल्ट को साधने का प्रयास, पहले पिता अब बेटा मंत्री
आदिवासी बेल्ट में भाजपा का प्रदर्शन इस बार बीएपी के प्रभाव की वजह से उतना अच्छा नहीं रहा। प्रतापगढ़ से भाजपा के दिग्गज नेता और पूर्व मंत्री नंदलाल मीणा के बेटे हेमंत मीणा के जरिए क्षेत्रीय और जातीय समीकरण साधे गए हैं।
कन्हैयालाल चौधरी : पायलट के क्षेत्र में स्थानीय और जातीय समीकरण साधने का प्रयास
सांप्रदायिक रूप से बहुत ही संवेदनशील मालपुरा क्षेत्र से कन्हैयालाल को मंत्री बनाकर जातीय-क्षेत्रीय समीकरण साधे हैं। वोटर्स को मैसेज दिया है। सचिन पायलट के प्रभाव वाले टोंक जिले में जाट चेहरे को मंत्री बनाकर बीजेपी ने वोटर्स को साधा है।
भजनलाल शर्मा की टीम में पूरी तरह से जातिगत और क्षेत्रीय संतुलन साधा गया है। इस दौरान मेवाड़, मारवाड़ और ब्रज के नेताओं को तवज्जो दी गई, तो अन्य क्षेत्रों से भी जीतकर आये विधायकों को शामिल किया गया। जातिगत लिहाज से ब्राह्मण मुख्यमंत्री के अलावा संजय शर्मा को स्वतंत्र प्रभार वाला मंत्री बनाया गया। इसी तरह दलित उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा के अलावा मदन दिलावर और मंजू बाघमार को मंत्री बनाया गया। जबकि डॉक्टर किरोड़ीलाल मीणा, बाबूलाल खराड़ी और हेमंत मीणा आदिवासी समुदाय का प्रतिनिधित्व करेंगे, तो राजपूत समाज से दिया कुमारी को उपमुख्यमंत्री बनाने के साथ ही राज्यवर्धन सिंह और गजेंद्र सिंह खींवसर को मंत्री बनाया गया है।
पिछड़ी जातियों को भजनलाल शर्मा के मंत्रिमंडल में प्रमुखता के साथ स्थान दिया गया। इसमें चार जाट विधायकों में कन्हैयालाल चौधरी, सुमित गोदारा, झाबर सिंह खर्रा और विजय सिंह चौधरी को मौका मिला। अन्य पिछड़ी जातियों से जोगाराम पटेल, अविनाश गहलोत, जोराराम कुमावत, हीरालाल नागर, ओटाराम देवासी और कृष्ण कुमार बिश्नोई मंत्री बने, तो इकलौते गुर्जर चेहरे के रूप में जवाहर सिंह बेढम को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया। वैश्य समाज से एकमात्र मौका सादड़ी से विधायक गौतम कुमार दक को दिया गया। रावत समाज से मगरा बेल्ट में इस बार पुष्कर से लगातार जीत रहे सुरेश रावत को भी मंत्री बनाया गया है।
25 मंत्रियों में महज दो महिलाएं
राजस्थान में कुल 200 विधायकों की क्षमता के मुताबिक भजनलाल शर्मा के मंत्रिमंडल में 30 मंत्री बन सकते हैं। अब भी पांच विधायकों को मौका दिया जा सकता है, लेकिन अहम सवाल महिला विधायकों के प्रतिनिधित्व का है, जिसमें दिया कुमारी को उपमुख्यमंत्री बनाया गया है, तो वहीं मंजू बाघमार को राज्य मंत्री के रूप में जिम्मेदारी सौंपी गई है।