शिमला। राजधानी शिमला के ग्रीन बेल्ट क्षेत्र में भी अब निर्माण कार्य हो सकेंगे। प्रदेश की सुक्खू सरकार इस इलाके में निर्माण कार्य करवाने की इजाजत देने जा रही है। हालांकि ऐसे क्षेत्र में कोई पेड़ नहीं होने पर ही निर्माण कार्य संभव हो पाएंगे। किसी भी तरह का निर्माण करने के लिए खड़े पेड़ों को नहीं काटा जाएगा।
एक सरकारी प्रवक्ता ने गुरूवार को बताया कि शिमला के ग्रीन बेल्ट क्षेत्र में शामिल नवबहार से रामचन्द्र चौक से मच्छीवाली कोठी से क्राइस्ट चर्च से लक्कड़ बाजार से आईजीएमसी से संजौली चौक से नवबहार तक सड़क से घिरे ग्रीन बेल्ट क्षेत्र में कड़े नियमों और नियंत्रित ढंग से सीमित निर्माण को अनुमति देने पर विचार कर रही है। इसके दृष्टिगत ग्रीन बेल्ट क्षेत्र में स्थित किसी भी ग्रीन प्लॉट में यदि एक भी जीवित या सूखा पेड़ खड़ा होगा तो उस प्लाट पर निर्माण की अनुमति नहीं दी जाएगी। यह प्रावधान शिमला शहर की समृद्ध पारिस्थितिकी और प्राकृतिक विरासत के संरक्षण में दूरगामी भूमिका निभाएगा।
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उन्होंने कहा कि राज्य के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में इस मानसून के दौरान हुई भारी बारिश और उसके बाद आई आपदा को ध्यान में रखते हुए, राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि अत्यधिक वर्षा जल की तत्काल निकासी के लिए सभी शहरी केन्द्रों और ग्रामीण नगरों के लिए चरणबद्ध तरीके से एक प्रभावी एवं कुशल जल निकासी मास्टर प्लान तैयार किया जाएगा।
प्रवक्ता ने बताया कि सरकार ने शहरी क्षेत्रों के साथ-साथ योजना और विशेष क्षेत्रों में सभी भवनों के लिए नींव स्तर पर निरीक्षण का अनिवार्य प्रावधान करने का भी प्रस्ताव कर रही है। इसके अलावा, उच्च जोखिम वाली इमारतों, विशेष रूप से आवासीय, वाणिज्यिक, औद्योगिक, रियल एस्टेट परियोजनाओं और संस्थागत परियोजनाओं के लिए, अनुमोदन के समय भूवैज्ञानिक जांच रिपोर्ट के साथ-साथ बीआईएस कोड के अनुसार विस्तृत संरचनात्मक डिजाइन रिपोर्ट को अनिवार्य बनाया जा रहा है। ये आवश्यक प्रावधान सभी शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों को भविष्य में किसी भी प्रकार की आपदा से बचाव में महत्त्वपूर्ण सिद्ध होंगे।