शिवानी
चंडीगढ़। सतलुज-यमुना लिंक नहर (एसवाईएल) के मुद्दे पर केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की अध्यक्षता में हरियाणा और पंजाब के मुख्यमंत्रियों की गुरुवार को बैठक हुई। गजेंद्र सिंह शेखावत ने दोनों राज्यों में घटते भू जल स्तर पर चिंता व्यक्त करते हुए इस दिशा में समर्पित प्रयास करने का आह्वान किया। उन्होंने सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली के लिए हरियाणा सरकार द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि हरियाणा ने सूक्ष्म सिंचाई के मामले में 1000 प्रतिशत बढ़ोतरी दर्ज की है। पंजाब राज्य को भी सूक्ष्म सिंचाई को बढ़ावा देने के लिए हरियाणा से सीख लेनी चाहिए।
बैठक के दौरान हरियाणा का पक्ष रखते हुए मनोहर लाल ने कहा कि एसवाईएल का निर्माण तथा पानी के बंटवारे का विषय अलग अलग है, लेकिन पंजाब केवल एसवाईएल निर्माण के विषय पर अटक गया है, जबकि हमें सामूहिक रूप से इस विषय पर आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्तमान में संचालित भाखड़ा चैनल लगभग 66-67 साल पुरानी हो चुकी है, इसलिए भविष्य में किसी करणवश इस चैनल में कोई अवरोध उत्पन्न होता है तो पानी के सुगम संचालन के लिए भी एसवाईएल का निर्माण अति आवश्यक है।
मनोहर लाल ने कहा कि समझौते के अनुसार हरियाणा को उसके हिस्से का पूरा पानी नहीं मिल रहा है लेकिन हरियाणा अपने स्तर पर पानी की उपलब्धता और मांग को प्रबंधित कर रहा है। लेकिन इन प्रयासों के बावजूद भी दक्षिण हरियाणा, अरावली क्षेत्र में पर्याप्त पानी नहीं पहुंच रहा है। तदानुसार, सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार यदि पंजाब एसवाईएल का निर्माण कर देता है तो इसका ये मतलब नहीं है कि हम पानी छीन लेंगे।
एसवाईएल की बैठक मनोहर माहौल में हुई, लेकिन मान है कि माने नहीं – मुख्यमंत्री मनोहर लाल
बैठक के उपरांत मीडिया से बातचीत करते हुए मनोहर लाल ने कहा कि आज की बैठक बड़े ही मनोहर माहौल में हुई, लेकिन मान है कि माने नहीं। उन्होंने कहा कि एसवाईएल का विषय वर्षों से लंबित है और सुप्रीम कोर्ट में हाल ही में हुई सुनवाई के दौरान यह कहा गया था कि केंद्र सरकार हरियाणा व पंजाब के साथ मिलकर आपसी सहमति से इस विषय को सुलझाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एसवाईएल का निर्माण होना चाहिए। आज की बैठक में पंजाब सरकार की ओर से एसवाईएल और पानी की स्थिति को लेकर केंद्र सरकार को एक एफिडेविट दिए जाने की बात कही गई है। इस एफिडेविट को अगली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट में दायर किया जाएगा। उन्होंने कहा कि ज्यादा पानी आने के कारण पंजाब को भी नुकसान होता है। पानी के नेचुरल फ्लो के लिए वैकल्पिक चैनल होना आवश्यक है, इसलिए भी एसवाईएल का निमार्ण जरूरी है।
मनोहर लाल ने कहा कि पंजाब व हरियाणा दोनों राज्यों में जल प्रबंधन के विभिन्न विषयों जैसे पानी की उपलब्धता, फसल विविधिकरण, डीएसआर तकनीक इत्यादि विषयों को लेकर एक संयुक्त कमेटी बननी चाहिए। हालांकि, दोनों राज्यों के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एसवाईएल को लेकर एक कमेटी पहले से बनी हुई है, अब उसी कमेटी का दायरा बढ़ाकर इन जल प्रबंधन के विषयों पर भी संयुक्त रूप से कार्य किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब में भी लोग टयूबवेल लगाकर भूजल का अत्यधिक दोहन कर रहे हैं और इसी प्रकार हरियाणा में भी दोहन हो रहा है। हम यह मानते हैं कि पानी सबकी जरूरत है और सभी को पानी मिलना चाहिए, लेकिन एसवाईएल का निर्माण न होने देना ये सही बात नहीं है।
उन्होंने कहा कि समझौते के अनुसार हरियाणा को अपने हिस्से का पूरा पानी नहीं मिल रहा है। आज की बैठक में पंजाब सरकार ने माना है कि कुछ पानी पाकिस्तान में जा रहा है, जिसे वे अपने यहां बांध बनाकर डायवर्ट करेंगे। इस प्रकार देखा जाए तो आज तक हमारे हिस्से का पानी पाकिस्तान को दिया गया।
बाढ़ के दौरान पंजाब के मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए बयान-अब हमारे पास पानी है अब ले लो हमसे, के संबंध में पूछे गए सवाल पर प्रतिक्रया देते हुए मनोहर लाल ने कहा कि इस प्रकार का बयान बहुत ही हल्का है। ऐसा बयान नहीं दिया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने वर्षों पहले सड़क और नदियों को जोड़ने का विज़न दिया था। यदि एसवाईएल बनती है तो वह नदियों को जोड़ने के लिए एक लिंक के रूप में भी काम करेगी।
बैठक में हरियाणा के एडवोकेट जनरल बलदेव राज महाजन, मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव राजेश खुल्लर, मुख्यमंत्री के सलाहकार (सिंचाई ) देवेंदर सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव वी उमाशंकर, सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग के आयुक्त एवं सचिव पंकज अग्रवाल, केंद्र के जल शक्ति विभाग की सचिव देबाश्री मुखर्जी और पंजाब सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।