नई दिल्ली : केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण व जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा (Tribal Affairs Minister Arjun Munda) ने कहा कि बीते 10 वर्षों में दाल उत्पादन में देश ने काफी तरक्की की है। आने वाले कुछ समय में देश दाल उत्पादन में पूर्ण आत्मनिर्भर हो जायेगा। मुंडा ने गुरुवार को दिल्ली में राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (नेफेड) व ग्लोबल पल्स कन्फेडरेशन (जीपीसी) की ओर से आयोजित चार दिवसीय पल्सेस कन्वेंशन का उद्घाटन किया। इस अवसर पर खाद्य-सार्वजनिक वितरण, वाणिज्य एवं उद्योग तथा वस्त्र मंत्री पीयूष गोयल, इथियोपिया के व्यापार व उद्योग तथा क्षेत्रीय एकता मंत्री कासाहु गोफे बलामी, उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह, जीपीसी के प्रेसीडेंट विजय अयंगर, नेफेड अध्यक्ष डॉ. बिजेंद्र सिंह, एमडी रितेश चौहान, अतिरिक्त सचिव (कृषि) शुभा ठाकुर सहित केंद्र-राज्यों के वरिष्ठ अधिकारी, राष्ट्रीय सहकारी संघों के अध्यक्ष- एमडी, किसानों-व्यापारियों के राष्ट्रीय संघों के पदाधिकारी, मिलर्स, निर्यातक-आयातक व आपूर्ति श्रृंखला प्रतिनिधि मौजूद थे।

मौके पर श्री मुंडा ने कहा कि सरकार दलहन क्षेत्र में सतत कार्य करते हुए आयात पर निर्भरता कम करने व आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ने के लिए घरेलू उत्पादन बढ़ाने के संबंध में लगातार प्रयास कर रही है। वर्ष 2014 से यानी एक दशक में दलहनी फसलों के विकास में केंद्र के अथक प्रयासों से काफी प्रगति हुई है। भारत चने व कई अन्य दलहनी फसलों में आत्मनिर्भर बन चुका है, थोड़ी कमी तूर व उरद में बाकी है, जिसे 2027 तक पूरा करने की कवायद जारी है। इस दिशा में जहां नई किस्मों के बीजों की आपूर्ति बढ़ाई जा रही है, वहीं तूर-उड़द का रकबा बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया है।
मुंडा ने कहा कि इस रबी सीजन में मसूर का रकबा करीब एक लाख हेक्टेयर बढ़ा है। तूर की खरीद के लिए पोर्टल लांच किया गया है। इस पर पंजीयन करके किसान संपूर्ण बिक्री एमएसपी पर नेफेड या एनसीसीएफ को कर सकेंगे। देश में कृषि उत्पादन 332 मिलियन टन का लक्ष्य है, जिसमें अकेले 29.25 मिलियन टन दाल उत्पादन का लक्ष्य है। गरीबों को राहत देने के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम में कवर किये करीब 81.4 करोड़ लाभार्थियों को पांच साल के लिए मुफ्त खाद्यान्न दिया जा रहा है। मुंडा ने कहा कि 2027 तक दलहनी फसल उत्पादन में भारत को आत्मनिर्भर बनाने व विश्व में दलहनी फसलों के अनुसंधान एवं उपयोग में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए सभी को भागीदारी कर लक्ष्य हासिल करना है। अभी तक के प्रयासों से 2015-16 के दौरान दालों का उत्पादन 16.32 मिलियन टन के पहले स्तर से बढ़कर 26 मिलियन टन के स्तर तक पहुंच गया है।
उत्पादन में इस जबरदस्त वृद्धि ने हमारी आयात निर्भरता को कम किया है। सरकार के ये प्रयास किसानों, लाभार्थियों के बीच जागरूकता के बिना अधूरे हैं। इसलिए, मंत्रालय मजबूत विस्तार सेवाओं के जरिये सरकारी योजनाओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए अथक प्रयास कर रहा है। वहीं, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि दलहन उत्पादन 2014 में 17 मिलियन टन से बढ़कर अब 26 मिलियन टन से ज्यादा हो गया। यह किसानों की क्षमता-प्रतिबद्धता दर्शाता है। किसानों के उज्जवल भविष्य के लिए केंद्र सरकार हरसंभव उपाय कर रही है। सभी मंत्रालय मिलकर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसानों को समर्थन देने व उपभोक्ताओं को उचित मूल्य सुनिश्चित करने के लिए भारत दाल लांच की गयी है। चार महीने की अल्पावधि में ही बाजार के लगभग 25 फीसदी हिस्से पर भारत दाल का कब्जा हो गया है।


