सहारनपुर : भारत दुनियाभर को धर्म की राह दिखा रहा है। श्रीमद्भागवत में पूरा जीवन है। जीवन को कैसे जीना है। हमें क्या करना चाहिए, यह सब बताया गया है। संतों का केवल नाम लेने मात्र से लोगों का भाग्य उदय हो जाता है, ऐसे में अगर संतों के साथ बैठने और उन्हे सुनने का अवसर मिल जाये तो फिर समझिये भाग्योदय होना ही है। उक्त बातें गुरुवार को सहारनपुर पहुंचे आरएसएस प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने कही। आरएसएस प्रमुख यहां सहारनपुर के सरसावां में आयोजित श्री कृष्ण मंदिर के भूमि पूजन कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पहुंचे थे। उन्होंने पूजन के बाद नींव खोदकर इस शुभ कार्य का श्रीगणेश किया। इसके बाद संत सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि धर्म सभी को जोड़ता है। सभी के सुख की कामना करता है। सभी की उन्नति करता है।
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उसे ही धर्म कहते हैं। ऐसा धर्म सनातन है, वही शाश्वत है। सनातन धर्म को किसी ने उत्पन्न नहीं किया। वह हमेशा से है और रहेगा। जिस दिन सनातन खत्म हो गया, समझिए यह दुनिया ही खत्म हो जायेगी। धर्म की परिभाषा समझाते हुए उन्होंने बताया कि धर्म के चार पहलू हैं, सत्य, करुणा, शुचिता और कपस यानी परिश्रम। इसी की चौखट पर चलना है, जो कदम इसके अंदर हैं, वह धर्म हैं और जो इसके बाहर है, वह अधर्म है। तो ये चार जो हैं वे शाश्वत धर्म हैं। यह कभी नहीं बदलेंगे। आचरण बदलेगा, लेकिन आपका आचरण इन्हीं चार चौखट के अंदर रहना चाहिए। आपका आचरण इस चौखट के अंदर है या नहीं, यह आपको समय-समय पर संत बतायेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि जीवन में आने वाली परिस्थितियों से भागना नहीं है। मुकाबला करना है। यदि भाग गये तो जिंदा होते हुए भी मौत के समान है। प्रकृति के साथ चलें। यह धर्म की आवश्यकता है। दुनिया में ऐसे भी लोग हैं, जो दुष्ट हैं। उनसे घबराना नहीं है। हमारी किसी से दुश्मनी नहीं है। सभी को साथ लेकर चलना है। धर्म के साथ चलना है।