रांची। राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने कहा कि जनजातियों का गौरवशाली इतिहास रहा है। इनकी सभ्यता और संस्कृति अत्यंत ही समृद्ध है। साथ ही हमारे जनजातियों की कला-संस्कृति, साहित्य, परंपरा एवं रीति-रिवाजों की विश्वव्यापी पहचान है। ये प्रकृति प्रेमी हैं और यह इनके पर्व-त्यौहारों एवं अनुष्ठानों में झलकता है।
राज्यपाल शुक्रवार को जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा संकाय, रांची विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित “सरहुल पूजा महोत्सव” में लोगों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने राज्यवासियों को सरहुल पर्व की बधाई देते हुए कहा कि सरहुल सिर्फ एक पर्व ही नहीं है, बल्कि मानव जीवन और प्रकृति के बीच अटूट संबंध का अनुपम उदाहरण है। सरहुल यह संदेश देता है कि प्रकृति के बिना मनुष्य का अस्तित्व नहीं है।
राज्यपाल ने कहा कि आज के आधुनिक युग में जहां पूरा विश्व ग्लोबल वार्मिंग से चिंतित हैं, ऐसे में इस प्रकार के त्योहारों की अहमियत और भी बढ़ जाती है। यह पर्व मानव को प्रकृति के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए प्रेरित करता है। उन्होंने वृक्षों की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वृक्षों के बिना जीवन की कल्पना असंभव है। वृक्ष हैं तो जीवन है।
उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में वनम संस्था ने बड़ी संख्या में पौधरोपण किया है, जिससे वहां के भू-गर्भ जल-स्तर में उल्लेखनीय वृद्धि हुई और बारिश में भी बढ़ोतरी हुई। झारखंड राज्य को इस संस्था के अनुभव का लाभ प्राप्त हो, इसके लिए उन्हें आमंत्रित किया जायेगा। साथ ही राज्य के लोगों को जल संरक्षण और अधिक से अधिक पौधरोपण करने का संदेश दिया।
इस अवसर पर महापौर डॉ. आशा लकड़ा, सचिव, विकास भारती पद्मश्री अशोक भगत, कुलपति प्रो. अजीत कुमार सिन्हा सहित विश्वविद्यालय के शिक्षक, अधिकारी एवं विद्यार्थी मौजूद थे।