रांची। झारखंड राज्य शिक्षा परियोजना परिषद एवं यूनिसेफ द्वारा रांची के बीएनआर होटल में “जीवन कौशल, अपने शरीर के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण सह आत्मविश्वास” विषय पर दो दिवसीय राज्यस्तरीय कार्यशाला का सोमवार को शुभारंभ किया गया। इस कार्यशाला का शुभारंभ कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय की बच्चियों ने किया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यूनिसेफ की राज्य पदाधिकारी डॉ. कनीनिका मित्रा ने कहा कि दस साल से कम उम्र के बच्चों के साथ साथ उससे अधिक अधिक उम्र के बच्चों की भी विशेष निगरानी एवं देखभाल कि जरूरत होती है। अभिभावकों के साथ शिक्षकों को भी बच्चों से बात करने और उनके साथ सकारात्मक बर्ताव करने का व्यवहार आना जरूरी है। उन्होंने राज्य सरकार का आभार व्यक्त किया कि जीवन कौशल जैसे संवेदनशील मुद्दों पर सरकार के द्वारा सकारात्मकता पूर्वक पहल की जा रही है जो सराहनीय है।
डॉ कनीनिका मित्रा ने आज के दौर में प्रसारित हो रहे विज्ञापनों में दिखाए जा रहे भेदभाव से सम्बंधित सामग्रियों पर विचार करने की मांग की। साथ ही सरकार से ऐसे विज्ञापन जो बच्चों के मन में रंग, रूप, लिंग आदि को लेकर भेद भाव की स्थिति पैदा करें उनपर नियंत्रण लगाने की मांग की।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यूनिसेफ की एजुकेशन स्पेशलिस्ट पारुल शर्मा ने बच्चों के लिए सुरक्षात्मक वातावरण के निर्माण पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सुंदरता में भी विविधता होती है, इसकी कोई एक निर्धारित परिभाषा नहीं है। रंग, रूप, आकार को लेकर भेदभाव नहीं होना चाहिए। पतला होने के लिए खाना छोड़ देना सही नहीं है। उसी प्रकार सुन्दर दिखने के लिए विज्ञापनों पर दिखने वाले उत्पादों पर अंधाधुंध खर्च करने के बजाय व्यक्तिगत गुणों को संवारने पर ध्यान देना चाहिए।
आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए सकारात्मकता जरूरी
राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी अभिनव कुमार ने कहा कि आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए सकारात्मक होना बहुत जरूरी है। हर विद्यालय में कुछ ना कुछ सकारात्मक बातें होती हैं। हम अक्सर उन सकारात्मकताओं को दरकिनार कर नकारात्मक बातों पर ज्यादा चिंतन करते हैं। इससे हमें निराशा होती है। उन्होंने स्कूल विजिट कर रहे पदाधिकारियों से आग्रह किया कि वे जब स्कूलों में जाए तो सकारात्मक रुख अपनाएं। इससे स्कूलों में कार्य करने वाले अधिकारी और शिक्षकों का मनोबल बढ़ता है।
कार्यशाला में राज्य के विभिन्न विद्यालयों से आये प्रतिनिधियों एवं छात्राओं के दल ने जीवन कौशल एवं प्रशिक्षण से संबंधित चल चित्रों, नाटकों एवं पीपीटी के माध्यम से प्रस्तुतियां पेश की।