देवघर। देवघर जिले के करणकोल गांव में काली पूजा की तैयारी जोर शोर से की जा रही है। पूजा के लिए मंदिर की साफ-सफाई, रंगाई, प्रतिमा का बनना सभी तरह के तैयारियां जोरों पर है। काली स्पोर्टिंग क्लब के सदस्यों द्वारा निस्वार्थ होकर सभी 16 गांवों करणकोल, घोड़धोड़ा, मधुवन, चियार्धनिया, नाराही, नावाडीह, भोक्ता डीह, असंपुर, गोरा, जमुआ, तितमोह,दोनिहारी, भिखना, भीतिया और पहाड़पुर दासडीह के सभी लोगों के सहयोग से इसका सफल संचालन किया जाता रहा है। कार्तिक मास के अमवस्या के दिन मां की वैदिक विधि से पूजा किया जाता है।
बुजुर्गों के कथनानुसार करणकोल में हो रही पूजा का इतिहास बहुत पुराना है। यह पूजा परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी पिछले कई दशकों से चलती आ रही है। पूजा के उपरांत करणकोल गांव में भव्य मेले का आयोजन होता है, जिसमें देवघर जिले के बहुत लोगों का आगमन मां काली के जागृत रूप के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त कर मेले का आनंद लेते हैं। मेले के बाद मां की प्रतिमा गांजे- बाजे, ढोल-नगाड़ोंरंग-बिरंगे जगमगाती लाइट के साथ ही नम आंखों से करणकोल के पोखर में विसर्जित कर दिया जाता है। करणकोल काली पूजा की परम्परा है कि मां की प्रतिमा जो करीब छह फीट काजो गांव के ही कलाकार सुनील झा के पूर्वजों से ही बनाया जाता रहा है। उनके घर से मंदिर तक करीब दो किलोमीटर तक ले जाना तथा विसर्जन करते समय दोनों समय मां की प्रतिमा लोंगों के कंधे पर ही रख के किया जाता आ रहा है ।
काली पूजा के दौरान तीन दिन विशेष कलश स्थापित होने के साथ ही विसर्जन होने तक सम्पूर्ण गांव का माहौल बड़ा ही सुंदर और शुद्ध लगता आपसी भाई चारे के लिए एक मिसाल पेश करते हैं।
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