—डायरेक्ट सीडेड राइस (डीएसआर) कॉन्क्लेव में शामिल हुए मुख्यमंत्री
वाराणसी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि देश के खाद्यान्न उत्पादन में अकेले उत्तर प्रदेश का 21 फीसदी योगदान है। राज्य सरकार के प्रयासों से उत्तर प्रदेश में अन्न, दलहन, तिलहन और सब्जियों की उत्पादन क्षमता पांच गुना तक बढ़ गई है। ऐसे में भरोसा है कि डबल इंजन की सरकार में ‘नया उत्तर प्रदेश’ भारत का फूड बास्केट बनकर उभरेगा। राज्य की अनुकूल कृषि-जलवायु परिस्थितियां इसे कृषि क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व प्रदान कर सकती हैं।
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मुख्यमंत्री योगी सोमवार को अपने दो दिवसीय वाराणसी दौरे के दौरान चांदपुर स्थित अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (आइसार्क) परिसर में आयोजित तीन दिवसीय डायरेक्ट सीडेड राइस (डीएसआर) कॉन्क्लेव को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने कृषि क्षेत्र में राज्य की उपलब्धियों, चुनौतियों और भविष्य की योजनाओं को भी बताया। उन्होंने कहा कि इरी और आइसार्क ने हमेशा इस क्षेत्र को सहयोग प्रदान किया है। मुख्यमंत्री योगी ने बताया कि पिछले 11 वर्षों में प्रदेश की कृषि प्रणाली में व्यापक एवं क्रांतिकारी परिवर्तन हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में किसानों को सॉयल हेल्थ कार्ड, फसल बीमा, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) जैसी योजनाओं का लाभ मिला है। साथ ही हर वर्ष 10 करोड़ किसानों को पीएम किसान सम्मान निधि के अंतर्गत आर्थिक सहायता भी दी जा रही है।—कृषि नवाचारों की श्रृंखला का अनावरणमुख्यमंत्री ने समागम में कृषि ज्ञान उत्पादों और मशीनरी नवाचारों की एक श्रृंखला का अनावरण भी किया। उन्होंने डायरेक्ट सीडेड राइस और जीरो-टिलेज गेहूं पर आधारित उत्पादों के साथ-साथ ‘समृद्धि धान नेटवर्क’ पर आधारित सामग्री का भी उद्घाटन किया। साथ ही किसानों के बीच मिनी किट्स का वितरण भी किया गया।—अंतरराष्ट्रीय सहयोग और शोध संस्थानों की भागीदारीसमागम में मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश में चार कृषि विश्वविद्यालय सक्रिय हैं और एक नया विश्वविद्यालय भी जोड़ा जा रहा है। इरी और आइसार्क जैसे वैश्विक अनुसंधान संस्थान, कृषि नवाचार और टिकाऊ खेती को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने इरी और इंटरनेशनल पोटैटो सेंटर (सिप) की विशेषज्ञता का उपयोग ज्ञान प्रबंधन और क्षमता निर्माण के लिए करने की बात कही। मुख्यमंत्री ने इरी और इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर द्वारा विकसित डायरेक्ट-सीडेड राइस और जीरो-टिलेज गेहूँ पर आधारित ज्ञान उत्पादों का भी उद्घाटन किया। इसके साथ ही, समृद्धि धान नेटवर्क पर आधारित एक अन्य सामग्री का भी अनावरण किया ।—पारंपरिक कृषि ज्ञान पर भी दिया जोरसीएम योगी ने भारतीय कृषि परंपराओं में निहित ज्ञान को मजबूत करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि हमें अपनी समृद्ध पारंपरिक कृषि विरासत को सहेजने और आधुनिक नवाचारों के साथ जोड़ने की आवश्यकता है। उन्होंने काला नमक चावल का उदाहरण देते हुए बताया कि यह न केवल एक महत्वपूर्ण ओडीओपी उत्पाद है, बल्कि इसका ऐतिहासिक महत्व भी है, क्योंकि इसे भगवान बुद्ध को महाप्रसाद के रूप में अर्पित किया जाता था। —उत्तर प्रदेश कृषि विभाग की 150वीं वर्षगांठ पर विशेष सत्रइस मौके पर उत्तर प्रदेश कृषि विभाग की 150वीं वर्षगांठ भी मनाई गई। साथ ही “2030 तक उत्तर प्रदेश को वैश्विक फूड आपूर्तिकर्ता बनाने के लिए विचार-विमर्श” विषयक विशेष सत्र का आयोजन हुआ। सम्मेलन में प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने आइसार्क और इसके निदेशक डॉ. सुधांशु सिंह के प्रयासों की सराहना की। मंत्री ने आइसार्क के संस्थापक निदेशक स्मृतिशेष डॉ. यू.एस. सिंह को भी स्मरण किया । —सम्मेलन में हुई अंतरराष्ट्रीय सहभागितासम्मेलन में कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, राज्यमंत्री रविंद्र जायसवाल, डॉ. दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’, और बलदेव सिंह औलख के साथ-साथ इरी की महानिदेशक डॉ. इवोन पिंटो, सीआईपी महानिदेशक डॉ. साइमन हेक, और कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव अजीत कुमार साहू की उपस्थिति रही। अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों में श्रीलंका, कंबोडिया और वियतनाम के वरिष्ठ कृषि अधिकारी भी शामिल हुए।