प्रयागराज: वाराणसी स्थित ज्ञानवापी(Gyanvapi) तलगृह में पूजा अर्चना की अनुमति देने सम्बंधी जिला जज वाराणसी के आदेश के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट(Highcourt) से मस्जिद(Mosque) पक्ष को कोई फौरी राहत नहीं मिली। अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने 31 जनवरी की स्थिति बहाल करने की मांग की है। अगली सुनवाई अब छह फरवरी को होगी।
न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की पीठ ने कहा कि, मस्जिद पक्ष पहले 17 जनवरी 2024 के आदेश को चुनौती दे। इस आदेश से जिलाधिकारी वाराणसी को रिसीवर नियुक्त किया गया है। जिस पर जिलाधिकारी ने 23 जनवरी को ज्ञानवापी परिसर को अपने कब्जे में ले लिया है। इसके बाद जिला कोर्ट(District court) ने 31 जनवरी के अंतरिम आदेश से काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट को पुजारी के जरिए तलगृह में पूजा करने की अनुमति दी है।
महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्र का कहना था कि, सरकार की जिम्मेदारी कानून व्यवस्था कायम रखने की है। डीएम सुरक्षा व्यवस्था देख रहे हैं। अंजुमन इंतेजामिया कमेटी के वकील एस एफ ए नकवी से कोर्ट ने पूछा था कि बेसिक आदेश 17 जनवरी 2024 का है, उसको क्यों चुनौती नहीं दी? कमेटी के वकील ने कहा कि 31 जनवरी का आदेश आने के कारण तुरंत आना पड़ा। उस (बेसिक आदेश को) भी चुनौती देंगे, क्योंकि आदेश होते ही जिलाधिकारी ने रात में तैयारी कर ली और नौ घंटे में पूजा शुरू करा दी।
उन्होंने कहा कि जिला जज ने अपने ही आदेश के विपरीत अंतरिम आदेश देकर वस्तुतःवाद स्वीकार कर लिया है। विष्णु शंकर जैन ने अपील की पोषणीयता पर आपत्ति की। कहा कि मूल आदेश को चुनौती नहीं दी है। अधीनस्थ अदालत ने वादी को राहत नहीं दी है। मंदिर ट्रस्ट को अधिकार दिया है। अंजुमन इंतजामिया कमेटी गुरुवार तड़के सुप्रीम कोर्ट भी गई थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट जाने का सुझाव दिया था।