Lucknow : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचारक प्रमुख स्वान्त रंजन ने कहा कि सभी को साथ लेकर चलने से ही विकसित भारत का निर्माण होगा। विकसित भारत बनाने में समाज को भी लगना होगाए जो आक्रमणकारी ताकतें बाहर से आईं, उन्होंने देश पर कुठाराघात किया। ऐसे में हम अपने ‘स्व’ को ही भूल गए। समाज आत्मकेंद्रित हो गया, असंगठित हो गया। आज धीरे-धीरे समाज संगठित हो रहा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 100 वर्ष के लगातार प्रयासों से समाज जागरण हुआ है। इसी में एक प्रयत्न था राम मंदिर आंदोलन। स्वान्त रंजन कैसरबाग स्थित कला मण्डपम् में आयोजित राष्ट्रधर्म मासिक पत्रिका के विशेषांक ‘विकसित भारत’ के विमोचन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे।
स्वान्त रंजन ने कहा कि राष्ट्र जागरण का आंदोलन बीते 100 वर्षों से चल रहा है। इस आंदोलन की परिणिति मात्र राम मंदिर बनाने की नहीं थी। इससे समाज का जागरण करना आवश्यक था। प्रारम्भ से ही संघ ने कहा कि जन्मभूमि स्थान यही है। मंदिर यहीं होना चाहिये। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 का हटना भी ऐसा ही प्रयत्न है। हम दूसरों को पीछे करके आगे नहीं बढ़ते, हम सबको साथ लेकर चलते हैं। उन्होंने भारत को विकसित करने में पंच परिवर्तनों की भूमिका को भी स्पष्ट किया। उन्होंने स्व पर बल देते हुए कहा कि हमें अपने मूल को पहचानना होगा। दूसरे विषय ‘नागरिक कर्तव्य’ के बारे में कहा कि हमें आत्मानुशासन का पालन करते हुये समाज निर्माण करने में सकारात्मक भूमिका निभानी चाहिये। तीसरे विषय ‘कुटुम्ब प्रबोधन’ पर कहा कि परिवार में मिल-जुलकर रहना, एक-दूसरे के साथ बांटकर खाना बहुत आवश्यक है। यह प्रथा आज खत्म होती जा रही है। ऐसा करके हम अपनी परम्परा और संस्कृति को बरकरार रख सकते हैं। पर्यावरण के विषय पर जोर देते हुये कहा कि प्रकृति के साथ ही हम सबको चलना होगा। हमें सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग छोड़ना होगा। कुम्भ में इस बार पॉलीथीन का प्रयोग न हो, इसके प्रयास किये जा रहे हैं। सामाजिक समरसता को भी विकसित भारत के लिए आवश्यक बताया।
उन्होंने कहा कि संघ इन विषयों को लेकर गांव-गांव में जाएगा। इससे पूर्व कार्यक्रम अध्यक्ष उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सभापति कुँवर मानवेन्द्र सिंह ने कहा कि विकसित भारत ज्ञान का भारत, सुरक्षित भारत और स्वच्छ भारत होगा। “राष्ट्रधर्म” का यह अंक इस दिशा में मार्गदर्शन करेगा। आज भारत की प्रतिष्ठा सर्वव्यापी है। हमारे देश में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। हम सभी देशवासियों को लैंगिक एवं जातीय भेदभाव के विरूद्ध कार्य करते हुये इसे समाप्त करना होगा।
हम सबको ऐसा प्रयास करना चाहिये, जिससे सभी को गुणवत्तापरक ज्ञान प्राप्त हो सके। ऐसा करके ही एक भारत, श्रेष्ठ भारत की संकल्पना को साकार करना होगा। भारत अमृतकाल के दौर से गुजर रहा है। आशा है कि यह विशेषांक पूर्व की भांति ही अमृतकाल के दायित्वों का पालन करते हुये राष्ट्रवासियों को राह दिखाएगा। यह पत्रिका जन-जन तक पहुंचनी चाहिये। राष्ट्रधर्म पत्रिका के सम्पादक प्रो. ओमप्रकाश पाण्डेय जी ने कहा कि “राष्ट्रधर्म” का दायित्व है कि वह समाज का जो घटनाक्रम है, उसे सबके समक्ष प्रस्तुत करे। राष्ट्र के प्रति इस धर्म का पालन सतत प्रकार से निभाया जा रहा है। यह विशेषांक अपने उसी दायित्व को पूरा कर रहा है।