नई दिल्ली। दूरसंचार विभाग (डॉट) ने सार्वजनिक (पीएसयू) क्षेत्र की गैस कंपनी गेल इंडिया लिमिटेड से 1.72,655 लाख करोड़ रुपये का पिछला सांविधिक बकाया चुकाने को कहा है।
सूत्रों के अनुसार दूरसंचार विभाग ने गेल को पिछले महीने पत्र भेजकर आईपी-1 और आईपी-2 लाइसेंस के अलावा इंटरनेट सेवा प्रदाता (आईएसपी) लाइसेंस का 1,72,655 करोड़ रुपये का भुगतान करने को कहा है। इसके जवाब में गेल ने दूरसंचार विभाग से कहा है कि वह सरकार को जितना भुगतान कर चुकी है, उसके अलावा उस पर कोई बकाया नहीं बनता है। गेल ने कहा है कि उसने आईएसपी लाइसेंस 2002 में 15 साल के लिए हासिल किया था लेकिन गेल ने कभी इस लाइसेंस के तहत कारोबार नहीं किया और न ही उसे कोई राजस्व हासिल हुआ। ऐसे में वह इसके लिए कोई भुगतान नहीं कर पाएगी। इसी तरह आईपी-1 और आईपी-2 लाइसेंस के बारे में गेल ने विभाग से कहा है कि उसे 2001-12 में 35 करोड़ रुपये की कमाई हुई, न कि 2,49,788 करोड़ रुपये, जिसके आधार पर पिछला बकाया मांगा जा रहा है।
गेल के अलावा दूरसंचार विभाग ने पावरग्रिड से भी बकाये का 1.25 लाख करोड़ रुपये चुकाने को कहा है। पावरग्रिड के पास राष्ट्रीय लंबी दूरी के अलावा इंटरनेट लाइसेंस भी है। पावरग्रिड ने कहा है कि 2006-07 से उसका समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) 3,566 करोड़ रुपये रहा है। जुर्माना जोड़ने के बाद यह 22,168 करोड़ रुपये बैठता है।
उल्लेखनीय है कि इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोवाइडर श्रेणी- I (आईपी-I) वे इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रदाता हैं जो टेलीकॉम सेवाओं के लाइसेंसधारियों को डार्क फाइबर, सही तरीके, डक्ट स्पेस और टावरों जैसी संपत्ति प्रदान करते हैं। गेल में गैस पाइपलाइनों का एक विशाल नेटवर्क है और इसने तीसरे पक्ष को बैंडविड्थ प्रदान करने के लिए इसके साथ ऑप्टिकल फाइबर बिछाया। दिसम्बर, 2005 में आईपी- II लाइसेंस जारी करना बंद कर दिया गया था।
सूत्रों ने कहा कि डॉट का अनुमान है कि दूरसंचार ऑपरेटरों पर स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क (एसयूसी) के रूप में 31 अक्टूबर, 2019 तक 55,054.51 करोड़ रुपये बकाया है जबकि लाइसेंस फीस का आंकड़ा 92,642 करोड़ रुपये है।