बदायूं : मानव केंद्रित विकास मानव जाति के लिए हानिकारक है।अब समय आ गया है, जब मानव केन्द्रित विकास की अवधारणा को विकारग्रस्त घोषित करते हुए उसके प्रवाह को कालबाह्य मान लिया जाए। सोमवार को ये बातें प्रख्यात विचारक केएन गोविंदाचार्य ने कहीं। वे गंगा संवाद यात्रा के सातवें दिन लोगों से संवाद कर रहे थे। सोमवार को यात्रा का अर्ध विश्राम जिला पंचायत विश्राम गृह सहसवान में हुआ। दोपहर भोजन के बाद गंगा संवाद यात्रा ने मुंडारी सिंधपुर गांव, समदा गांव, बेढहरिया गांव,सुरलालपुर, बक्सर गांव तक सात किलोमीटर की दूरी तय की।श्री गोविंदाचार्य ने कहा कि अब धर्म का परित्याग करते हुए सुखस्य मूल अर्थ स्वीकार कर लिया गया है। यह समय की जरूरत है कि गंगा जी के बन्धन, विभाजन और प्रदूषण की समस्याओं का हल प्राथमिकता के आधार पर हो। नरौरा बन्धन और विभाजन का प्रतीक है। गंगा के प्रदूषण का सब से बड़ा केंद्र बिंदु कानपुर है। इसलिए नरौरा से कानपुर के गंगा प्रवाह पर ज़्यादा ध्यान देने की जरूरत है। गंगा संवाद यात्रा में ललिता देवी, निरंजना देवी, निधि देवी, दिनेश तिवारी, वासुदेव आचार्य, विवेक त्यागी, जीवकांत झा, सागर पाठक, रोनित, प्रिंस शर्मा, प्रभाकर शर्मा ,मोहन सिंह तथा अन्य पदयात्रा कर रहे हैं।