खूंटी। जिले के विभिन्न जंगलों में असामाजिक तत्वों द्वारा आग लगाये जाने का मामला कम होता नहीं दिख रहा है। वन विभाग के अलावा जन प्रतिनिधियों और सरकारी अधिकारियों द्वारा बार-बार जंगलों में आग लगा देने से पेड़-पौधे तो जलकर नष्ट हो ही जाते हैं। साथ ही पर्यावरण को भी काफी नुकसान पहुंचता है लेकिन शरारती तत्व आग लगाने से बाज नहीं आ रहे है।
तोरपा थाना क्षेत्र का टाटी जंगल हो या जरियागढ़ थाना का इंद्र वन या रनिया का टाल्डा जंगल। लगभग हर जंगल में पतझड़ के दिनों में ग्रामीणों द्वारा आग लगा दी जाती है। जानकारों का मानना है कि ऐसी घटना को अंजाम देने वालों को शायद इस बात का अंदेशा नहीं है कि वे पर्यावरण से किस तरह खिलवाड़ कर रहे हैं। जानकारों ने कहा कि जंगलों में आग लगाने वाले कभी पकड़ में नहीं आते और न कभी उनके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई होती है। यही कारण है कि उनका मनोबल बढ़ता जाता है।
कभी जंगलों में आग न लगाएं: सहायक वन संरक्षक
खूंटी वन प्रमंडल के सहायक वन संरक्षक अर्जुन बड़ाईक ने ग्रामीणों से अपील की है कि वे जंगलों में कभी आग न लगाएं। उन्होंने कहा कि पतझड़ के मौसम में साल सहित अन्य पेड़ों के पत्ते सूखकर गिर जाते हैं। ऐसे में इस बात की सावधानी रखनी चाहिए कि गलती से भी उन पत्तों पर आग न लगे। इससे काफी नुकसान होता है। जड़ी-बूटियां, औषधीय पौधे, कीड़े-मकोड़े, सांप, चूहे और छोटे जंगली जानवर जलकर मर जाते हैं।