रांची। झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस अनिल कुमार चौधरी की कोर्ट ने शनिवार को डाल्टेनगंज विधायक आलोक चौरसिया के निर्वाचन को चुनौती देने वाली चुनाव याचिका की सुनवाई की। मामले में दोनों पक्षों की सुनवाई पूरी होने के बाद कोर्ट ने मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया। केएन त्रिपाठी की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता सलमान खुर्शीद ने इस केस के कानूनी पहलू पर बहस की।
पिछली सुनवाई में विधायक आलोक चौरसिया की ओर से वरीय अधिवक्ता वीपी सिंह ने बहस के दौरान कोर्ट को बताया था कि झारखंड एकेडमिक काउंसिल (जैक) एक्ट की धारा 28 के अनुसार जैक कोई कार्रवाई या आदेश पारित करता है तो उसे न्यायालय में चैलेंज नहीं किया जा सकता है। आलोक चौरसिया की ओर से यह भी कहा गया कि जब जैक ने उनके जन्मतिथि में संशोधन कर दिया है और वह अब ठीक हो चुका है तो उसे किसी अदालत में चैलेंज नहीं किया जा सकता है, तो फिर इलेक्शन पिटिशन में कैसे इसे चुनौती दी जा सकती हैं।
बताया गया कि आलोक चौरसिया की ओर से गलती से फॉर्म भरते समय जन्मतिथि वर्ष 1995 का भर दिया गया था। बाद में उन्हें महसूस हुआ कि गलत भरा गया है लेकिन वे उस समय ठीक नहीं करा सके थे। बाद में उन्होंने वर्ष 2012 में अपने जन्म तिथि में सुधार की कार्रवाई शुरू की थी। इसके बाद वर्ष 2014 में उनकी जन्मतिथि में झारखंड एकेडमिक काउंसिल ने सुधार किया था।
सुनवाई के दौरान केएन त्रिपाठी की ओर से हाई कोर्ट के अधिवक्ता महेश तिवारी एवं अभिषेक कुमार दुबे ने पैरवी की। पूर्व की सुनवाई में केएन त्रिपाठी की ओर से बहस में कहा गया था कि वर्ष 2019 के झारखंड विधानसभा चुनाव के नामांकन के दौरान आलोक चौरसिया की उम्र 25 वर्ष से कम थी। इसलिए वे चुनाव लड़ने के योग्य नहीं थे।