उन्नाव । कलेक्ट्रट के पन्नलाल सभागार में मंडलायुक्त लखनऊ रोशन जैकब के जनता दर्शन कार्यक्रम पर फरियादियों की भीड़ उमड़ी रही। करीब 316 शिकायतें मंडलायुक्त के सामने पहुंची। इसमें सबसे ज्यादा भूमि कब्जेदारी के मामले रहे। वहीं सदर तहसील की कार्यशैली से प्रताड़ित एक ऐसी पीड़ित महिला पहुंची जिसने करीब छह साल से सिर्फ लगातार तारीखें मिलने की बात कही। लंबे समय से न्याय की दरकार में भटक रही महिला रोते हुए बोली बोली मैडम अब समाधान करा दीजिए परेशान हो गई हूं। कमिश्नर ने महिला की पीड़ा को सुनने के बाद तहसीलदार को बुलाया और तत्काल निस्तारण कर रिपोर्ट तलब की।
मंगलवार को कलेक्ट्रेट में जनता दर्शन के लिए पहुंची मंडलायुक्त को ऊषा शुक्ला पत्नी यज्ञ नारायण शुक्ला ने शिकायती पत्र दिया। महिला द्वारा दिए गए शिकायती पत्र में बताया गया कि गोड़वा भिम्मा सदर तहसील उन्नाव में उसका मायका है। जहां पर पति और पति के भाई यज्ञ प्रसाद व सुनीत दत्त के नाम भूमि दर्ज है। आरोप है दाखिल खारिज होने केबाद भी गांव के दंबग किस्म के लोगों ने फर्जी अभिलेखों के दम पर न्यायालय नायब तहसीलदार कर्ण से भूमि का क्रियान्वयन स्थगित करा दिया। तब से वह उस खेत पर न तो खेती कर पा रहे और न ही अपना कब्जा कर पा रहे है। कोर्ट के सामने सारे प्रमाण पेश किए जाने के बाद भी निस्तारण न करने का आरोप लगाया। आरोप लगाया कि जो व्यक्ति संबधित तारीख पर मुकदमे की पैरवी में आता है उसके पास उसके कोई अभिलेख भी नहीं है। बताया कि पैरवी करने वाला व्यक्ति दावा करता है कि उसने उस जमीन का एग्रीमेंट कराया है, जबकि एग्रीमेंट करने वाला जिम्मेदार आज तक कोर्ट में किसी भी तारीख में पेश नहीं हुआ है। जो फर्जी एग्रीमेंट होने का दावा वह कर रहा है उसकी भी समय सीमा अब समाप्त हो चुकी है। इसके बाद भी न्यायालय में सिर्फ तारीख देने का काम किया जात रहा है, जिसके कारण करीब छह साल से केस लंबित है।
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पीड़ित महिला ने कमिश्नर से न्याय दिलाने की गुहार लगाई। कमिश्नर के साथ जनता दर्शन में डीएम अपूर्वा दुबे, पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ शंकर मीणा, अपर आयुक्त न्यायिक लखनऊ घनश्याम, सीडीओ ऋषिराज, एडीएम(वि/रा) नरेन्द्र सिंह, एडीएम (न्यायिक) विकास कुमार सिंह आदि रहे।
जनता दर्शन में भूमि संबधी व आपसी लड़ाई-झगड़े के मामले रहे, जिस पर मंडलायुक्त ने कहा कि तहसील स्तर पर वरासत, सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा व भूमि अभिलेखों, वादों से संबधित शिकायतें बहुतायत में देखने को मिलतीं हैं। निर्देश दिए गए कि इस तरह की शिकायतों का निस्तारण प्राथमिकता से कर दिया जाए। इसके लिए तहसील स्तर के अधिकारियों की जबावदेही भी तय की जाए। उन्होंने कहा कि जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक नियमित रूप से जन शिकायतों की समीक्षा करें। 10 दिन बाद अपर आयुक्त लखनऊ द्वारा आज सुनीं गयीं शिकायतों की समीक्षा की जाएगी।
कमिश्नर ने सुनवाई शुरू की तो सबसे ज्यादा मामले जमीन के गंगाघाट ओर सदर के पहुंचे। गंगाघाट का एक माफिया के खिलाफ आधा सैकड़ा से अधिक पीड़ितों ने शिकायती पत्र दिया है। विभागीय अफसरो की मानें तो गंगाघाट के माफिया पर कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए गए है। इसके साथ ही एक होटल पर भी कार्रवाई की बात कही है।